विभिन्न पारिस्थितिकी के लिए संस्थान द्वारा विकसित चावल की किस्में
विविध पारिस्थितिकी एवं जलीय दशाओं के अंतर्गत जलप्लावित, कम एवं अच्छी जल निकास वाली भूमियों से लेकर सिंचित एवं वर्षाश्रित ऊपरी भूमियों में धान की खेती की जाती है। भारत में विभिन्न पारिस्थितिकियों में धान की खेती के लिए कुल 946 किस्में विमोचित की जा चुकी हैं और विभिन्न पारिस्थितिकी प्रणालियों में खेती के लिए संस्थान ने 105 किस्में विकसित की हैं। उच्च उत्पादन पाने करने के लिए उचित चावल किस्म का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। विभिन्न पारिस्थितिकी-भौगोलिक स्थितियों के अनुकूल इन किस्मों से उच्च उपज प्राप्त करने के लिए पानी, पोषक तत्व, प्रकाश, स्थान और तापमान की इष्टतम आपूर्ति बुनियादी आवश्यकता है। इसके अलावा, किसी भी धान फसल की पैदावार उसकी बुवाई/ रोपाई और कटाई के इष्टतम समय पर निर्भर करती है। इस संदर्भ में अच्छी पैदावार के लिए उच्च उपज देने वाली किस्मों के बारे में ज्ञान बेहद आवश्यक है। इस खंड में संक्षिप्त रूप से संस्थान द्वारा विकसित लोकप्रिय चावल किस्मों के बारे में वर्णन किया गया है, जो विभिन्न प्रकार की पारिस्थितिकियों के लिए उपयुक्त है।
प्रजनक बीज और विश्वसनीय लेबल वाले (टीएल) बीज संस्थान में उपलब्ध होंगे। प्रजनक बीज पाने के लिए मांगकर्ता को कृषि और सहकारिता विभाग (डीएसी), भारत सरकार के पास अग्रिम रूप से मांगपत्र भेजना चाहिए, जबकि, ” विश्वसनीय लेबल वाले बीज” की एक छोटी मात्रा संस्थान, कटक में उपलब्ध हो सकती है। |
उपराऊंभूमि पारितंत्रवंदना (आरआर 167-982): |
कामेश (सीआर धान 40): यह शीघ्र पकने (110 दिन) वाली, अर्ध बौनी (100-105 सेंटीमीटर) धान की प्रजाति है, मेंड वाली ऊपरीभूमियों तथा वर्षाश्रित ऊपरीभूमियों के लिए यह एक लोकप्रिय किस्म है। इसे वर्ष 2008 में झारखंड एवं महाराष्ट्र के सूखा आक्रांत क्षेत्रों में खेती के लिए विमोचित तथा अधिसूचित किया गया। इसका दाना छोटा एवं मोटा है तथा औसत उत्पादकता 3.0-3.5 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति भूरा धब्बा, गालमिज प्रध्वंस, सफेदपीठवाला पौध माहू, तना छेदक तथा पत्ता मोड़क के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। वर्षाश्रित ऊपरीभूमियों में सीधी बुआई परिस्थिति के लिए यह उपयुक्त है। |
सहभागी धान (आईआर 74371-70-1-1-सीआरआर-1): यह शीघ्र पकने (100 दिन) वाली, बौना (85-90 सेंटीमीटर) धान की प्रजाति है। वर्ष 2008 तथा 2011 में क्रमश: झारखंड एवं ओडिशा में खेती के लिए विमोचित तथा अधिसूचित किया गया। यह सूखा सहिष्णु है तथा अनुकूल परिस्थिति में भी अच्छी उपज देती है। ऊपरीभूमि, वर्षाश्रित सीधी बुआई तथा रोपित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त किस्म है। इसका दाना लंबा एवं मोटा है तथा इसका ऊपरी छिलका स्वर्णिम रंग का है। इसकी औसत उत्पादकता 3.8-4.5 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति पत्ता प्रध्वंस प्रतिरोधी है तथा भूरा धब्बा, आच्छद विगलन, तना छेदक एवं पत्ता मोड़क के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |
सत्यभामा (सीआर धान 100): यह शीघ्र पकने (105-110 दिन) वाली, अर्ध-बौना (95-105 सेंटीमीटर) धान की प्रजाति है। इसे ओडिशा के सूखा प्रवण क्षेत्रों में खेती के लिए वर्ष 2012 में विमोचित किया गया। इसका दाना मध्यम लंबा एवं पतला है। यह प्रजाति भूसी बदरंगता के प्रति सहिष्णु है। सूखा परिस्थिति में इसकी औसत उत्पादकता 2.8 टन प्रति हेक्टेयर है तथा अनुकूल परिस्थितियों में इससे 4.7 टन प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है। पत्ता मोड़क, व्होर्ल मैगट, सफेदपीठवाला पौध माहू, भूरा पौध माहू, गालमिज, हिस्पा, थ्रिप्स, पत्ता प्रध्वंस तथा धान टुंगो वायरस के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |
ऐरोबिक धान:
प्यारी (सीआर धान 200): |
सीआर धान 201 (सीआर 2721-81-3-आईआर 83380-बी-बी-124-1):यह मध्यम अवधि की शीघ्र पकने (110-115 दिन) वाली, अर्ध-बौना, न गिरने वाली धान प्रजाति है, सीमित तथा ऐराबिक परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है। बिहार तथा छत्तीसगढ़ में खेती के लिए इसे क्रमश: वर्ष 2012 में विमोचित तथा 2014 में अधिसूचित किया गया है। इसका दाना लंबा एवं पतला है तथा औसत उत्पादकता 3.8 टन प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म के प्रत्येक वर्गमीटर में बालियों की संख्या (280) अधिक होती हैं तथा बालियां लंबी एवं घनी होती हैं। यह प्रजाति पत्ता प्रध्वंस, आच्छद विगलन, तना छेदक (डेड हार्ट एवं व्हाइट इयर हेड), पत्ता मोड़क, व्होर्ल मैगट एवं राइस थ्रीप्स के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |
सीआर धान 202 (सीआर 2715-13-आईआर 84899-बी-154):
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सिंचित पारिस्थितिकी
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नवीन (सीआर 749-20-2):
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राजलक्ष्मी (सीआरएचआर-5):
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अजय (सीआरएचआर-7):
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सत्यकृष्णा (सीआर एसी 2221-43):
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फाल्गुनी (सीआर धान 801):
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उन्नत ललाट (सीआरएमएएस-2621-7-1):
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उन्नत तपस्विनी (सीआरएमएएस-2622-7-6):
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बोरो/शुष्क मौसम धान
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उथली निचलीभूमि पारिस्थितिकी
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स्वर्णा सब-1 (सीआर एसी-2539):
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रीता (सीआर 780-1937-1-3):
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सीआर धान 300 (सीआर 2301-5) :यह मध्यम विलंब अवधि में (140 दिन) पकने वाली अर्ध-बौनी (110-115 सेंटीमीटर) किस्म है। इसे ओडिशा, बिहार, गुजरात तथा महाराष्ट्र के सिंचित/उथली निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए विमोचित किया गया है। इसका दाना लंबा पतला है और औसत उत्पादकता 5.0-5.5 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति पत्ता मोड़क तथा राइस व्होर्ल मैगट प्रतिरोधी है तथा सफेदपीठवाला पौध माहू, गाल मिज, राइस हिस्पा, थ्रिप्स, तना छेदक, पत्ता एवं गला प्रध्वंस, आच्छद विगलन तथा धान टुंग्रो रोग के प्रति मध्यम रूप से सहिष्णु है। |
सीआर धान 701 (सीआरएचआर 32):यह देश की पहली विलंब अवधि में (142-145 दिन) पकने वाली संकर धान प्रजाति है जिसे बिहार, ओडिशा एवं गुजरात के सिंचित तथा उथली निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए क्रमश: वर्ष 2010 में विमोचित एवं 2012 में अधिसूचित किया गया है। इसका दाना मध्यम पतला है एवं औसत उपज क्षमता 6.0-6.5 टन प्रति हेक्टेयर के बीच है। संकर धान श्रेणी में लोकप्रिय किस्म “स्वर्णा” के स्थान पर इसकी खेती की जा सकती है। यह जल भराव एवं कम प्रकाश परिस्थिति को सह सकता है। यह प्रजाति धान टुंग्रो रोग, जीवाणुज अंगमारी, हरा पौध माहू एवं पत्ता गला प्रध्वंस के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |
अर्ध गहरा/जल भराव पारिस्थितिकी
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दुर्गा (सीआर 683-123): यह विलंब अवधि में (155 दिन) पकने वाली, लंबी ऊंचाई (125-135 सेंटीमीटर), प्रकाशसंवेदनशील धान प्रजाति है जिसे ओडिशा के निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए वर्ष 2000 में विमोचित एवं अधिसूचित किया गया है। इसका दाना मध्यम पतला है एवं औसत उपज क्षमता 4.5 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति जीवाणुज पत्ता अंगमारी, आच्छद विगलन तथा भूरा पौध माहू प्रतिरोधी है। इस प्रजाति में दीर्घीकरण क्षमता है। जैसे ही जल स्तर बढ़ता जाता है, पौधे का तना लंबा होता रहता है जिसके फलस्वरूप यह किस्म 100 सेंटीमीटर तक की जलजमाम स्थिति को सहन कर सकता है। |
गायत्री (सीआर 210-1018): यह विलंब अवधि में (160 दिन) पकने वाली अर्ध लंबी (110 सेंटीमीटर), प्रकाशसंवेदनशील लोकप्रिय धान प्रजाति है जिसे ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा बिहार के निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए वर्ष 1988 में विमोचित एवं अधिसूचित किया गया है। इसका दाना छोटा मोटा है एवं औसत उपज क्षमता 5.0 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति प्रमुख रोगों एवं नाशककीटों के विरुद्ध सहिष्णु है। इसके दानों में सुप्तावस्था क्षमता है। यह किस्म 50 सेंटीमीटर तक की जल भराव स्थिति को सहन कर सकता है तथा विलंबित रोपाई के लिए उपयुक्त है। |
वर्षाधान (सीआरएलसी 899): यह विलंब अवधि में (160 दिन) पकने वाली, लंबी ऊंचाई की (150 सेंटीमीटर), न गिरने वाली एवं प्रकाशसंवेदनशील लोकप्रिय धान प्रजाति है। इसका पुआल सख्त है। इसे ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा असम के निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए क्रमश: वर्ष 2005 में विमोचित एवं 2006 में अधिसूचित किया गया है। इसका दाना लंबा मोटा है एवं औसत उपज क्षमता 4.0 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति गला प्रध्वंस, जीवाणुज पत्ता अंगमारी, आच्छद विगलन तथा सफेदपीठ वाला पौध माहू के प्रति सहिष्णु है। यह किस्म 75 सेंटीमीटर तक दीर्घकालिक जल भराव स्थिति को सहन कर सकता है। |
सीआर धान 500 (सीआर 2285-6-6-31): यह विलंब अवधि में (160 दिन) पकने वाली, लंबी ऊंचाई की प्रजाति है जिसे ओडिशा तथा उत्तर प्रदेश के गहरा जल क्षेत्रों में खेती के लिए वर्ष 2012 में विमोचित एवं अधिसूचित किया गया है। इसका दाना मध्यम पतला है एवं औसत उपज क्षमता 3.3 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति थ्रिप्स एवं पत्ता मोड़क प्रतिरोधी है, पत्ता प्रध्वंस, गला प्रध्वंस, गालमिज तथा पीला तना छेदक के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |
जयंती धान (सीआर धान 503): यह विलंब अवधि में पकने वाली (160 दिन) प्रजाति है जिसे ओडिशा के गहरा जल क्षेत्रों में खेती के लिए क्रमश: वर्ष 2011 एवं 2012 में विमोचित किया गया है। इसका दाना मध्यम पतला है एवं औसत उपज क्षमता 4.6 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति पीला तना छेदक, पत्ता मोड़क, व्होर्ल मैगट एवं थ्रीप्स के प्रति मध्यम रूप से सहिष्णु है तथा पत्ता प्रध्वंस, गला प्रध्वंस, आच्छद अंगमारी, आच्छद विगलन एवं धान टुंग्रो रोग के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। यह किस्म एक मीटर तक जल भराव स्थिति को सहन कर सकता है। |
तटीय लवण पारिस्थितिकी
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लुणा संपद (सीआर धान 402): यह मध्यम विलंब अवधि में (140 दिन) पकने वाली, लंबी ऊंचाई की (130 सेंटीमीटर), लवण सहिष्णु (5.0 से 8.0 घनत्व प्रति मीटर) प्रजाति है जिसे ओडिशा के तटीय लवणता एवं वर्षाश्रित लवण परिस्थिति वाली क्षेत्रों में खेती के लिए क्रमश: वर्ष 2010 में विमोचित एवं 2011 में अधिसूचित किया गया है। इसका दाना मध्यम मोटा है एवं औसत उपज क्षमता 3.6 से 4.2 टन प्रति हेक्टेयर के बीच है। यह प्रध्वंस प्रतिरोधी है, धान टुंग्रो रोग, आच्छद अंगमारी तथा तना छेदक के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |
लुणा वरियल (सीआर धान 406): यह विलंब अवधि में (150-155 दिन) पकने वाली, लवण सहिष्णु (5.0 से 8.0 घनत्व प्रति मीटर) धान प्रजाति है जिसे ओडिशा के तटीय लवणता परिस्थिति वाली क्षेत्रों में खेती के लिए क्रमश: वर्ष 2012 में विमोचित एवं अधिसूचित किया गया है। इसका दाना छोटा एवं मोटा है एवं औसत उपज क्षमता 3.9 टन प्रति हेक्टेयर है। यह पीला तना छेदक के प्रति सहिष्णु है तथा आच्छद अंगमारी तथा जीवाणुज पत्ता अंगमारी के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |
लुणा शंखी (सीआर धान 405): यह शीघ्र अवधि में (110 दिन) पकने वाली प्रजाति है जिसे ओडिशा के तटीय लवणता क्षेत्रों के सिंचित परिस्थिति में खेती के लिए क्रमश: वर्ष 2012 में विमोचित एवं 2013 में अधिसूचित किया गया है। इसका दाना मध्यम पतला है एवं औसत उपज क्षमता 4.6 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रध्वंस सहिष्णु है तथा आच्छद अंगमारी के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। लवणी क्षेत्रों में शुष्क मौसम के दौरान खेती के लिए बहुत उपयुक्त है। |
सुगंधित चावल:
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नुआ धूसरा (आईईटी 18395): यह विलंब अवधि में (145 दिन) पकने वाली, लंबी ऊंचाई की (142 सेंटीमीटर) प्रकाशसंवेदनशील लोकप्रिय धान प्रजाति है जिसे ओडिशा के निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए वर्ष 2008 में विमोचित एवं अधिसूचित किया गया है। इसका दाना छोटा मोटा है एवं औसत उपज क्षमता 3.0 टन प्रति हेक्टेयर है। यह आच्छद विगलन, गला प्रध्वंस तथा धान टुंग्रो रोग प्रतिरोधी है एवं गालमिज के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। यह किस्म 3-4 दिन की छोटी अवधि के लिए जलनिमग्नता सह सकता है। |
नुआ चिनीकामिनी (आईईटी 18394): यह विलंब अवधि में (145-150 दिन) पकने वाली, लंबी ऊंचाई की (140 सेंटीमीटर) प्रकाशसंवेदनशील सुगंधित गैर बासमती धान प्रजाति है जिसे ओडिशा के निचलीभूमि क्षेत्रों तथा वर्षाश्रित निचलीभूमियों में खेती के लिए वर्ष 2010 में विमोचित एवं 2011 में अधिसूचित किया गया है। इसका दाना छोटा-मोटा है एवं औसत उपज क्षमता 3.5 टन प्रति हेक्टेयर है। यह आच्छद विगलन, गला प्रध्वंस तथा धान टुंग्रो रोग एवं गालमिज प्रतिरोधी है तथा तना छेदक के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। कम दूरी पर रोपाई के लिए इसकी सिफारिश की गई है। |
पूर्णभोग (सीआरएम 2203-4): यह विलंब अवधि में (140-145 दिन) पकने वाली बौनी तथा सुगंधित गैर बासमती धान प्रजाति है जिसे ओडिशा के सिंचित एवं उथली निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए वर्ष 2012 में विमोचित में किया गया है। इसका दाना लंबा पतला है एवं औसत उपज क्षमता 4.5-5.0 टन प्रति हेक्टेयर के बीच है। यह गला प्रध्वंस, गाल मिज प्रतिरोधी है तथा आच्छद विगलन एवं पीला तना छेदक के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |
सीआर सुगंध धान 907 (सीआर 2616-3-3-31): यह विलंब अवधि में (150 दिन) पकने वाली सुगंधित गैर बासमती धान प्रजाति है जिसे ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश तथा गुजरात के सिंचित परिस्थिति में खेती के लिए क्रमश: वर्ष 2012 में विमोचित तथा वर्ष 2013 में अधिसूचित किया गया है। इसका दाना मध्यम पतला है एवं औसत उपज क्षमता 4.5-5.0 टन प्रति हेक्टेयर के बीच है। यह गला प्रध्वंस, गाल मिज प्रतिरोधी है तथा आच्छद विगलन एवं पीला तना छेदक के प्रति मध्यम रूप से प्रतिरोधी है। |