फसल उन्नयन

फसल उन्नयन प्रभाग

फसल उन्नयन प्रभाग चावल के आनुवंशिक सुधार के लिए बुनियादी, रणनीतिक और प्रायोगिक अनुसंधान से जुड़े होने के अलावा, प्रासंगिक पहलुओं पर ज्ञान सृजन में भी प्रयासरत है। अर्थशास्त्र वनस्पति विज्ञान एवं पौध आनुवंशिक संसाधन, आनुवंशिक एवं पौध प्रजनन और कृषि जैवप्रौद्योगिकी के विषयों के वैज्ञानिकगण संस्थान के अन्य प्रभागों के वैज्ञानिकों के सहयोग से बहुआयामी शोध पर कार्य करते हैं। संस्थान के आंतरिक अनुसंधान परियोजनाओं के अलावा, प्रभाग के शोधकर्ता विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक बाहरी वित्तपोषित अनुसंधान परियोजनाओं में भी शामिल हैं। यह प्रभाग चावल के वर्गीकरण, पौध आनुवांशिक संसाधनों, शास्त्रीय आनुवांशिकी, साइटोजेनेटिक्स, उत्परिवर्तन, इन-विट्रो संवर्धन, जैव सूचना विज्ञान, चावल के जीनोमिक्स आदि पर अनुसंधान के साथ-साथ विभिन्न माध्यमों से चावल के किस्मों के सुधार पर अनुसंधान कार्य करता है। आणविक मार्कर की सहायता से प्रजनन फसल सुधार कार्यक्रम वर्तमान प्रभाग का एक अभिन्न अंग बन गया है। “उपज, गुणवत्ता और जलवायु अनुकूलनीयता बढ़ाने के लिए चावल के आनुवंशिक सुधार” कार्यक्रम के तहत प्रभाग द्वारा ग्यारह अलग-अलग अनुसंधान परियोजनाओं पर कार्य किए जा रहे हैं। भारत के विभिन्न चावल पारिस्थितिकी के लिए अब तक, 125 शुद्ध वंश की किस्में और 03 संकर विमोचित किए गए हैं। केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा 80 किस्में और विभिन्न राज्य किस्म विमोचन समितियों द्वारा 48 किस्में विमोचित किए जा चुके हैं। भारत सरकार के कृषि और सहकारिता विभाग से प्राप्त मांगपत्रों के अनुसार सभी विमोचित किस्मों के न्यूक्लियस और ब्रीडर बीज का उत्पादन किया जाता है।