बिक्री योग्य प्रौद्योगिकी

भाकृअनूप- व्यावसायीकरण के लिए एनआरआरआई द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियां

1. नीलगिरी के तेल का नैनोइमल्शनः भंडारण कीटों के खिलाफ सिंथेटिक कीटनाशकों का एक विकल्प
किसके द्वारा विकसितः टोटन अदक, नवीन कुमार बसनगौड पाटिल, गुरु पिरसन्ना पांडी गोविंदराज, बसन गौड़ जी, महेंद्रीरण अन्नामलाई, अरूप कुमार मुखर्जी, प्रकाश चंद्र रथ और निशांत बारिक

संक्षिप्त विवरण
6% नीलगिरी के तेल की सांद्रता बनाए रखते हुए एक अनुकूलित नैनोइमल्शन तैयार किया गया। नैनोइमल्शन प्राप्त करने के लिए नीलगिरी के तेल का मिश्रण 80 के बीच 1:2.5 अनुपात में 10 मिनट के लिए 15000 आरपीएम की समरूपता गति पर अनुकूलित स्थितियां बनाई गई। साइटोफिलस ओराइजा और ट्रिबोलियम कास्टेनियम के विरु़द्व एक बेहतर प्रभावकारिता देखने को मिली। इससे यह स्पष्ट होता है कि उन्हें निम्नीकृत करने पर प्राकृतिक तेल के महत्व और क्षमता बढ़ जाता है। इस प्रकार की एक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल सौम्य सूत्रीकरण पर जोर दिया जाना चाहिए और प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए और खतरनाक रासायनिक कीटनाशकों के बदले प्रयोग किया जा सकता है।

मुख्य विशेषताएं

  • 6% लोडिंग क्षमता के साथ तैयार नीलगिरी के तेल नैनोइमल्शन
  • छोटी बूंदों का आकार (2.27 एनएम) से प्रभावकारिता में सुधार करता है
  • नीलगिरी के तेल की तुलना में साइटोफिलस ओराइजा के खिलाफ प्रभावी (1.4 गुना)

प्रभाव
ट्रिबोलियम कास्टेनियम के प्रबंधन के लिए नीलगिरी के तेल की 3.5 गुना कमी

लक्षित उपयोगकर्ता/हितधारक
नियमित कीटाणुशोधन के लिए केंद्र और राज्य सरकार के गोदाम, कीटनाशक निर्माता

संभावित उद्योग का देश के लिए संदर्भ
कीट प्रबंधन में रासायनिक कीटनाशकों को कम करना और गैर-रासायनिक पद्धति का उपयोग प्राथमिकता है। भंडारित अनाज कीट प्रबंधन में कीटनाशकों का सीमित विकल्प एक चुनौती है। इसके अलावा, जैव-कीटनाशक बाजार का लगातार विस्तार हो रहा है। प्रस्तावित प्रौद्योगिकी फसल कटाई के बाद कीट प्रबंधन के मुद्दों की सभी जरूरतों को पूरा करेगी।

नीलगिरी के तेल और सर्फेक्टेंट के विभिन्न मिश्रणों के साथ तैयार किया गया नैनोइमल्शन

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
डॉ. पी सी रथ
प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष,
फसल सुरक्षा प्रभाग
फोन: 9437476827, ईमेल: Prakash.Rath@icar.gov.in

2. स्वदेशी ग्रीन सिल्वर नैनोकण
किसके द्वारा विकसितः टोटन अदक, हरेकृष्ण स्वाईं, सुष्मिता मुंडा, अरूप कुमार मुखर्जी, मनोज कुमार यादव, अरविंदन सुन्दरम, मानस कुमार बाग

संक्षिप्त विवरण
सिल्वर के नैनो कणों को संश्लेषित करने के लिए बैंगनी रंग के चावल के पत्तों की अनूठी क्षमता यहां प्रस्तुत की गई है। यह पहली बार हो सकता है, हम सिल्वर नाइट्रेट को सिल्वर नैनो पार्टिकल्स में कम करने के लिए बैंगनी रंग के चावल के पत्तों में कुल फिनोल, एंथोसायनिन और फ्लेवोनोइड की उच्च सामग्री तैयार कर रहे हैं। संश्लेषण विधि के प्रमुख लाभ उपयोग में आसानी, पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक हैं। संश्लेषित सिल्वर के नैनो कणों का आकार और संबंधित गुण एक प्रभावी रोगाणुरोधी कारक के रूप में इसके उपयोग के लिए बहुत उपयुक्त हैं। सिल्वर नैनो कण चावल के तीन रोगजनकों को नियंत्रित कर सकते हैं और एक व्यापक स्पेक्ट्रम चावल कवकनाशी के रूप में नियंत्रित किया जा सकता है। सिल्वर के नैनो कणों का नकारात्मक प्रभाव मात्रा पर निर्भर करता है, प्रभावी कवकनाशी मात्रा में मौजूदा सबसे लोकप्रिय कवकनाशी, कार्बेन्डाजिम की तुलना में मिट्टी के रोगाणुओं पर इसके प्रभाव में पर्याप्त अंतर नहीं था। सिल्वर नैनो कणों का नया और हरित संश्लेषण रोगाणुरोधी कारक के रूप में इसके प्रभावी उपयोग के लिए और मदद करेगा।

मुख्य विशेषताएं

  • पहली बार, सिल्वर के नैनोकणों के संश्लेषण के लिए बैंगनी रंग के चावल के पत्तों का उपयोग
  • सिल्वर के नैनोकणों को संश्लेषित करने के लिए फिनोल, एंथोसायनिन और फ्लेवोनोइड की भूमिका
  • संश्लेषण विधि उपयोग में आसान, पर्यावरण के अनुकूल और कम खर्चीला है
  • इसे व्यापक स्पेक्ट्रम चावल कवकनाशी के रूप में नियंत्रित किया जा सकता है
  • प्रभावी कवकनाशी मात्रा के नकारात्मक प्रभाव कार्बेन्डाजिम के समान पाया गया।

प्रभाव
सिल्वर के नैनोकणों की विशिष्ट कम लागत वाला, पर्यावरण के अनुकूल संश्लेषण और चावल के रोगजनकों के विरुद्व प्रभावशीलता।

लक्षित उपयोगकर्ता/हितधारक
नियमित कीटाणुशोधन के लिए केंद्र और राज्य सरकार के गोदाम, कीटनाशक निर्माता

संभावित उद्योग का देश के लिए संदर्भ
कीट प्रबंधन में सिंथेटिक रासायनिक कीटनाशकों को कम करना और नई विधि का उपयोग प्राथमिकता है। शीथ ब्लाइट और बैक्टीरियल ब्लाइट प्रबंधन में कीटनाशकों का सीमित विकल्प एक चुनौती है। प्रस्तावित प्रौद्योगिकी इन कीट प्रबंधन मुद्दों की सभी जरूरतों को पूरा करेगी।

संश्लेषित सिल्वर नैनो कण

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डॉ. पी सी रथ
प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष,
फसल सुरक्षा प्रभाग
फोन: 9437476827, ईमेल: Prakash.Rath@icar.gov.in

3. स्रोत पर प्रदूषण को सीमित करने के लिए स्वदेषी बायोबेड प्रौद्योगिकी
किसके द्वारा विकसितः टोटन अदक, बिभव महापात्र, हरेकृष्ण स्वाईं, नवीन कुमार बी पाटिल, गुरु पिरसन्ना पांडी, बसन गौड़ जी, महेंद्रीरण अन्नामलाई, सोमनाथ पोखरे, शंकरी मीना के, प्रकाश चंद्र रथ और मायाबिनी जेना

संक्षिप्त विवरण
स्वदेशी रूप से तैयार किया गया बायोबेड कॉलम कीटनाशक क्षरण के लिए पर्याप्त कुशल है। यह प्रायोगिक ढांचा उन संसाधनों को लेकर किया गया जो अधिकांश दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। स्वदेशी रूप से उपलब्ध सामग्रियों के बायोमिक्स्चर ने परीक्षण कीटनाशक, इमिडाक्लोप्रिड को बहुत प्रभावी ढंग से इसकी सबसे ऊपरी परत पर प्रयोग किया गया कीटनाशक के बड़े हिस्से को विघटित कर दिया। बायोमिक्स्चर ने माइक्रोबियल विकास के लिए पर्याप्त सब्सट्रेट प्रदान किया, जिसने सह-चयापचय तरीके से कीटनाशक को विघटित किया। बायोबेड की सबसे निचली परत के बायोचार ने कॉलम से अच्छी मात्रा में कीटनाशक को बाहर निकलने से रोक दिया। इसकी आसान प्रयोग और प्रभावशीलता इसे भविष्य में कीटनाशक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में एक लोकप्रिय विकल्प बना देगी।

मुख्य विशेषताएं

  • बायोमिक्स्चर में धान पुआल, खाद, मिट्टी और चावल की भूसी होते हैं
  • स्तंभ के शीर्ष 10 सेमी कीटनाशकों को अवशोषित एवं न्यूनीकृत करता है
  • यह प्रणाली 15 दिनों के भीतर प्रयोग किए गए कीटनाशक का 70% को न्यूनीकृत कर सकता है
  • चावल की भूसी से बना बायोचार बाहर जाने वाले कीटनाशकों को बनाए रखा
  • माइक्रोबियल विकास कीटनाशकों के न्यूनीकरण का समर्थन करता है

प्रभाव
यह तकनीक स्रोत कीटनाशक प्रदूषण को रोक सकती है

लक्षित उपयोगकर्ता/हितधारक
नियमित कीटाणुशोधन के लिए केंद्र और राज्य सरकार के गोदाम, कीटनाशक निर्माता

संभावित उद्योग का देश के लिए संदर्भः
पर्यावरण में रासायनिक कीटनाशकों के भार को कम करना एक चुनौती है। भारत में, यह छोटे भूमिधारकों के लिए अधिक अनिश्चित है। हमारी तकनीक छोटी भूमिधारक के लिए उपयुक्त है। निर्धारित तकनीक को हर जगह अनुकूलित और उपयोग किया जा सकता है।

बायोबेड कॉलम का योजनाबद्ध चित्र

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
डॉ. पी सी रथ
प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष,
फसल सुरक्षा प्रभाग
फोन: 9437476827, ईमेल: Prakash.Rath@icar.gov.in

4. एनआरआरआई ट्राइकोकार्ड प्रजाति: ट्राइकोग्रामा जपोनिकम 
जिन वैज्ञानिकों ने विकसित किया: बसन गौड़ जी, टोटन अदक, नवीन कुमार बी पाटिल, गुरु प्रसन्न पांडी, अन्नामलाई एम, प्रशांति जी और पी.सी. रथ

ट्राइकोग्रामा जपोनिकम पीला तना छेदक, स्किरपोफगा इंसरतुलस का एक महत्वपूर्ण अंडा परजीवी है। आमतौर पर रोपाई करने के 30 दिन बाद तीन ट्रिचो कार्ड (60000 से अधिक परजीवी अंडे से युक्त) प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जाता है। अंडे समूह या कीटें न दिखाई देने तक, जो भी पहले हो, तब तक हर 7-10 दिनों के अंतराल पर इस प्रकार के कार्ड को पांच बार  खेत में विमोचित किए जाते हैं। कार्ड पर वर्णित वयस्क कीटों के आविर्भाव तिथि से पहले कार्ड को खेत में रखा जाना चाहिए। किसानों को उस खेत में कीटनाशकों का उपयोग करने से बचना चाहिए जहां ट्राइकोग्रामा प्रयोग किया गया है।
उपलब्धता और बिक्री
* भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक के फसल सुरक्षा प्रभाग में बायोएजेंट उपलब्ध हैं। यदि मांग 50 से अधिक कार्ड की आवश्यकता हो तो 45 दिन पहले मांग हेतु आवेदन करनी होती है। अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देश (IOBC) के अनुसार गुणवत्ता की जांच के बाद कार्ड की आपूर्ति की जाएगी। कार्ड केवल संस्थान में जाकर खरीदे जाने चाहिए।
* ट्राइकोकार्ड- 60 रुपये प्रति कार्ड (18000-20000 परजीवी अंडे शामिल हैं)
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
डॉ पी सी रथ
अध्यक्ष, फसल सुरक्षा प्रभाग
भाकृअनुपर-एनआरआरआई, कटक -753006
ई-मेल आईडी: pcrath67@gmail.com
मोबाइल नंबर – 9437476827

5.एनआरआरआई ट्राइकोकार्ड प्रजातियां: ट्राइकोग्रामा चिलोनिस
जिन वैज्ञानिकों ने विकसित किया: बसन गौड़ जी, टोटन अदक, नवीन कुमार बी पाटिल, गुरु प्रसन्न पांडी, अन्नामलाई एम, प्रशांति जी और पी.सी. रथ

ट्राइकोग्रामा चिलोनिस धान पत्ता मोड़क, नाफालोक्रोसिस मेडिनालिसस का एक महत्वपूर्ण अंडा परजीवी है। कीटें दिखाई देने पर बाद तीन ट्रिचो कार्ड (60000 से अधिक परजीवी अंडे से युक्त) प्रति हेक्टेयर प्रयोग किया जाता है। अंडे समूह या तक, जो भी पहले हो, तब तक हर 7-10 दिनों के अंतराल पर इस प्रकार के कार्ड को पांच बार  खेत में विमोचित किए जाते हैं। कार्ड पर वर्णित वयस्क कीटों के आविर्भाव तिथि से पहले कार्ड को खेत में रखा जाना चाहिए। किसानों को उस खेत में कीटनाशकों का उपयोग करने से बचना चाहिए जहां ट्राइकोग्रामा प्रयोग किया गया है।
उपलब्धता और बिक्री:
* भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक के फसल सुरक्षा प्रभाग में बायोएजेंट उपलब्ध हैं। यदि मांग 50 से अधिक कार्ड की आवश्यकता हो तो 45 दिन पहले मांग हेतु आवेदन करनी होती है। अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देश (IOBC) के अनुसार गुणवत्ता की जांच के बाद कार्ड की आपूर्ति की जाएगी। कार्ड केवल संस्थान में जाकर खरीदे जाने चाहिए।
* ट्राइकोकार्ड- 60 रुपये प्रति कार्ड (18000-20000 परजीवी अंडे शामिल हैं)
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
डॉ पी सी रथ
अध्यक्ष, फसल सुरक्षा प्रभाग
भाकृअनुपर-एनआरआरआई, कटक -753006
ई-मेल आईडी: pcrath67@gmail.com
मोबाइल नंबर – 9437476827

6.एनआरआरआई ब्रैकनकार्ड प्रजातियां: ब्रैकनहेबेटर
जिन वैज्ञानिकों ने विकसित किया: बसन गौड़ जी, टोटन अदक, नवीन कुमार बी पाटिल, गुरु प्रसन्न पांडी, अन्नामलाई एम, प्रशांति जी और पी.सी. रथ

ब्रैकन हेबेटर (= हैब्रोब्रैकन हेबेटर) धान के लेपिडोप्टेरान कीटों का एक महत्वपूर्ण लार्वा परजीवी है। आठ ब्रैकन कार्ड (4000-4500 से अधिक प्यूपायुक्त) प्रति हेक्टेयर। यदि कीट दिखाई दे तो अतिरिक्त कार्ड विमोचित करें। कार्ड पर वर्णित वयस्क कीट निकलने की तिथि से पहले कार्ड को खेत में रखा जाना चाहिए। किसानों को उस खेत में कीटनाशकों का उपयोग करने से बचना चाहिए जहां ब्रैकन हेबेटर विमोचित किया गया है।
उपलब्धता और बिक्री
* भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक के फसल सुरक्षा प्रभाग में बायोएजेंट उपलब्ध हैं। यदि मांग 50 से अधिक कार्ड की आवश्यकता हो तो 45 दिन पहले मांग हेतु आवेदन करनी होती है। गुणवत्ता की जांच के बाद कार्ड की आपूर्ति की जाएगी। कार्ड केवल संस्थान में जाकर खरीदे जाने चाहिए।
* ब्रैकन कार्ड – 70 रुपये प्रति कार्ड (500 से अधिक पुप्पे)
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
डॉ पी सी रथ
अध्यक्ष, फसल सुरक्षा प्रभाग
भाकृअनुपर-एनआरआरआई, कटक -753006
ई-मेल आईडी: pcrath67@gmail.com

7. अजय (सीआरएचआर-7) (संकर धान)

यह एक मध्यम अवधि (125-135 दिन), अर्ध-बौना (105-110 सेमी) लोक्रिपय संकर धान  किस्म है जिसे क्रमशः 2005 और 2006 में  ओडिशा की सिंचित तथा उथली निचलीभूमि वाले क्षेत्रों में खेती के लिए विमोचित एंव और अधिसूचित किया गया। इससे 7.0-7.5 टन/ हेक्टेयर की औसत उपज मिलती है, इसके दाने लंबे पतले एवं अच्छी गुणवत्ता के हैं। यह चावल किस्म टुंग्रो वायरस प्रतिरोधी है। इसमें जीवाणुज पत्ता अंगमारी, तना छेदक और भूरा पौध माहू के विरुद्ध खेत सहिष्णुता है। यह दौजी निकलने की अवस्था में जलनिमग्नता (7-10 दिन) सहन कर सकता है।

8. संकर धान किस्म राजलक्ष्मी (सीआरएचआर-5)

यह एक मध्यम अवधि (125-135 दिन), अर्ध-बौना (105-110 सेमी) लोक्रिपय संकर किस्म है। पौध अवस्था में ठंड सहिष्णु है तथा सिंचित एवं बोरो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उपयुक्त है। इसे ओडिशा और असम में खेती के लिए 2005 में राज्य किस्म विमोचन समिति द्वारा विमोचित और अधिसूचित किया गया है; 2006 एवं 2010 में केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा अधिसूचित किया गया है। इससे 7.0-7.5 टन/हैक्टर की औसत उपज मिलती है, इसके दाने अच्छी गुणवत्ता वाले लंबे पतले होते हैं। इसमें तना छेदक, भूरा पौध माहू, सफेदपीठ वाला पौध माहू, गालमिज, पत्ता प्रध्वंस और जीवाणुज पत्ता अंगमारी सहन करने की क्षमता है। यह संकर किस्म दौजी निकलने की अवस्था में  जलनिमग्नता (7-10 दिन) सहन कर सकता है।

9. संकर धान किस्म सीआर धान 701 (सीआरएचआर-32)

यह भारत में प्रथम विलंबित अवधि वाली (142-145 दिन) संकर धान किस्म बिहार और गुजरात के उथली निचलीभूमि क्षेत्रों में खेती के लिए, क्रमशः (2010 और 2012) में विमोचित  और अधिसूचित किया गया है। इससे 6.0-6.5 टन/हैक्टर की औसत उपज मिलती है, इसके दाने मध्यम पतले हैं। यह जलमग्नता और कम प्रकाश की स्थिति का सहन कर सकता है। यह राइस टुंग्रो, जीवाणुज पत्ता अंगमारी, हरा पत्ता माहू और पत्ता प्रबंध्वस लिए मध्यम प्रतिरोधी है। अगर दिसंबर में बोया जाए तो यह शुष्क मौसम के दौरान भी इसकी खेती की जा सकती है।

10. धान डबल हाप्लाएड प्रौद्योगिकी (सत्यकृष्णा)

द्वियुग्मज प्रजनन विधि से विकसित मध्यम अवधि (135 दिन), लंबा पतला दानायुक्त, रोग एवं कीट प्रतिरोधी-गला प्रध्वंस, आच्छद विगलन प्रतिरोधी, पीला तना छेदक, गाल मिज एवं व्होर्ल मैगट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी किस्म है। इसका विमोचन ओडिशा राज्य के सिंचित, वर्षाश्रित उथली निचलीभूमियों के लिए किया गया है।

11. उच्च प्रोटीनयुक्त चावल (सीआर धान 310)

राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने लोकप्रिय एवं अधिक उपज देने वाली किस्म नवीन में सुधार करके, कुटाई उपरांत, औसतन 10.3% प्रोटीन मात्रा सहित एक उच्च प्रोटीनयुक्त चावल किस्म सीआर धान 310 विकसित किया है। इसे केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा विमोचित किया गया है। चावल सबसे महत्वपूर्ण प्रधान खाद्य पदार्थों में से एक है विशेष रूप से एशियाई लोगों के लिए, लेकिन चावल में प्रोटीन की मात्रा (6-8%) बहुत कम है, जो अन्य अनाजों की अपक्षा कम है। इसलिए, गरीब आबादी जिनके लिए चावल प्रधान भोजन है, प्रोटीन कुपोषण उनके लिए एक गंभीर पोषण संबंधी समस्या है। उच्च प्रोटीनयुक्त चावल विकसित करने पर शोध तब शुरू हुआ, जब भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने असम चावल संग्रह में से एक प्रविष्टि (एआरसी 10075) को उच्च अनाज प्रोटीन मात्रा (जीपीसी) दाता के रूप में पहचाना तथा अंतक्रमण वंशों की पहचान के लिए पीढ़ी की उन्नति और चयन हेतु आवर्ती जनक नवीन के साथ तीन बार बैकक्रॉस द्वारा प्रयोग किया। 2014 के रबी और खरीफ मौसम के दौरान राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के परीक्षण खेत में मानक कृषि पद्धति और खेती प्रथाओं के तहत दस उच्च उपज देने वाली अंतक्रमण वंशों को उसी परीक्षण भूखंड में उगाई गईं। सभी वंशों में उच्च उपज देने वाले उनके जनक की तुलना में स्वीकार्य दाना की गुणवत्ता सहित अधिक जीपीसी और प्रोटीन मात्रा थी। इन वंशों में, बहुस्थानीय परीक्षण (एआईसीआरआईपी-जैवसुदृढ़ीकरण परीक्षण के तहत) के दौरान कुटाई करने के बाद, सीआर धान 310 (आईईटी 24780) को 10.3% की औसत जीपीसी सहित उच्च प्रोटीनयुक्त चावल किस्म के रूप में पहचाना गया।

उच्च उपज देने वाली प्रजातीय किस्में:

12. पूजा (सीआर-629-256)

It is a late maturing (150 days) short statured (90-95 cm) popular variety, released and notified (1999) for cultivation in shallow low land areas of Odisha, Assam, Madya Pradesh and West Bengal. It has medium slender grains with an average yield of 5.0 t/ha. It possessses field tolerance to all major diseases and pests. It tolerates water stagnation (up to 25 cm) and is suitable for late transplanting with aged seedlings.

13. नवीन (सीआर 749-20-2)

यह एक शीघ्र पकने वाला मध्यम अवधि (115-120 दिन), अर्ध-बौना (105 सेमी) किस्म है जो ऊपरीभूमि और सिंचित पारितंत्र प्रणाली के लिए उपयुक्त है। इसे ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश में खेती के लिए 2005 में विमोचित  और 2006 में अधिसूचित किया गया है। खरीफ में 4.0-5.0 टन/हैक्टर और रबी मौसम में 5.0-6.0 टन/हैक्टर की औसत उपज देता है, इसका दाना मध्यम मोटा है। इस किस्म में प्रध्वंस और भूरे धब्बे के विरुद्ध प्रतिरोधिता है।

14. वर्षाधान (सीआरएलसी 899)

यह एक विलंब से परिपक्व होने वाला (160 दिन), लंबा (150 सेमी), सख्त पुआलयुक्त, न गिरने वाला एक प्रकाशसंवेदनशील किस्म है। यह ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम के निचलीभूमि वाले क्षेत्रों में खेती के लिए (क्रमशः 2005 और 2006) विमोचित किया गया था। इससे 4.0 टन/हैक्टर की औसत उपज मिलती है, इसके दाने लंबे एवं मोटे हैं। यह गला प्रध्वंस, जीवाणुज पत्ता अंगमारी, आच्छद विगलन और सफेदपीठवाला पादप माहू सहिष्णु है। यह 75 सेमी की जल स्तर तक लंबे समय तक जलमग्नता सहन कर सकता है।

15. स्वर्णा सब-1 (सीआर 2539-1)

यह एक विलंब से परिपक्व (143 दिन) होने वाला, अर्ध बौना (100 सेमी) किस्म है जिसे ओडिशा के निचलीभूमि वाले क्षेत्रों में खेती के लिए 2009 में विमोचित और अधिसूचित किया गया है। लोकप्रिय किस्म स्वर्णा की आनुवांशिक पृष्ठभूमि में सब-1 जीन (जलमग्नता सहिष्णुता जीन) को अंतर्निहित करने के कारण यह दो सप्ताह के लिए पूर्ण जलमग्नता को सहन कर सकता है। इसलिए, यह तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के कारण बाढ़ की समस्या का समाधान है। स्वर्णा की तुलना में इसके बाली के रंग उज्जवल है और दाना मध्यम पतला है, 5.0- 5.5 टन / हेक्टेयर की औसत उपज क्षमता है। इसमें लगभग प्रमुख बीमारियों और कीटों के विरुद्ध क्षेत्र सहिष्णुता है।

 

16. चावल में वास्तविक समय पर नत्रजन (एन) प्रबंधन के लिए अनुकूलित पत्ता रंगर चार्ट (सीएलसीसी)

पूर्वी भारत में सैकड़ों अधिक उपज देने वाली चावल किस्मों और स्थानीय किस्मों में नत्रजन प्रयोग के विभिन्न स्तरों से खेती के दौरान पत्तों के वर्णक्रमीय मूल्यांकन के आधार पर विभिन्न पारिस्थितिकियों के लिए चावल में नत्रजन प्रबंधन के लिए एक पांच पैनल कस्टमाइज्ड पत्ता  रंग चार्ट (सीएलसीसी) संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। यह सस्ता है और प्रयोग करने में आसान है जिसे फोल्डर के रूप में नत्रजन प्रयोग की संपूर्ण समयसूची के साथ वर्णन किया गया है। इसका उपयोग करके, किसान नत्रजन प्रयोग को वास्तविक फसल की मांग के अनुसार उपयोग करके, उच्च पैदावार प्राप्त कर सकते हैं और 10-20 किग्रा प्रति हेक्टेयर तक नत्रजन प्रयोग की बचत कर सकते हैं।

यूरिया ब्रिकेट एप्लिकेटर:

17. दो कतार वाला यूरिया ब्रिकेट एप्लिकेटर

यह दो कतार वाला हस्तचालित यूरिया ब्रिकेट एप्लिकेटर है। इसमें दो बॉक्स, फ्रेम, दो कप प्रकार के मीटरिंग रोलर, एक एक्सल, एक ग्राउंड व्हील और एक हैंडल फ्रेम में लगे हैं। यह लौह सामग्री, जीआई शीट आदि का उपयोग करके बनाई गई है। एप्लिकेटर का उपयोग नाइट्रोजन के शीर्ष और आधारी प्रयोग के लिए भी किया जा सकता है। दोनों कतारों के लिए हटाने योग्य फ़रो ओपनर फिट किए गए हैं। फ़रो ओपनर द्वारा फ़रो बनाया जाता है तथा यूरिया ब्रिकेट के प्रयोग के बाद एक फ्लोट द्वारा तुरंत बंद हो जाता है। प्रयोग के दौरान स्किड्स वैकल्पिक पौध कतारों के बीच में काम करता है और मध्य कतार में बिना प्रयोग किए छोड़ जाता है जिससे संचालक के लिए उसी कतार में चलना संभव हो पाता है। इस  प्रक्रिया से पौधों की कतारों के बीच समान रूप से ब्रिकेट वितरित हो पाती है और प्रयोग हुए उर्वरक दो कतारों में बंट जाता है।


18. तीन कतार वाला यूरिया ब्रिकेट एप्लिकेटर

यह तीन कतार वाला हस्तचालित यूरिया ब्रिकेट एप्लिकेटर है। इसमें तीन बॉक्स, फ्रेम, तीन कप टाइप मीटरिंग रोलर, एक एक्सल, एक ग्राउंड व्हील और एक हैंडल फ्रेम में लगे हैं। यह लौह सामग्री, जीआई शीट आदि का उपयोग करके बनाई गई है। एप्लिकेटर का उपयोग आधारी नाइट्रोजन के प्रयोग के लिए किया जा सकता है। सभी कतारों के लिए हटाए जाने योग्य फ़रो ओपनर को फिट किया गया है। दो ग्राउंड व्हील्स दोनों सिरों से एप्लीकेटर को सपोर्ट करते हैं और मीटरिंग यूनिट में चार कप यूरिया ब्रिकेट को एकसमान स्थापना करते रहते हैं।

19. चार कतार वाला यूरिया ब्रिकेट ऐप्लिकेटर

यह चार कतार वाला ड्रम प्रकार का हस्तचालित यूरिया ब्रिकेट ऐप्लिकेटर है। इसमें दो ड्रम, फ्रेम, एक एक्सल, दो ग्राउंड व्हील्स और एक हैंडल फ्रेम में लगे हैं। यह लौह सामग्री, जीआई शीट एमएस फ्लैट इत्यादि का उपयोग करके बनाई गई है। ऐप्लिकेटर आधारी नाइट्रोजन के प्रयोग के लिए उपयोगी है। ऐप्लिकेटर का काम ड्रम सीडर के समान है। ऑपरेटर को ऐप्लिकेटर को खींचना पड़ता है ताकि ड्रम में भरी हुई यूरिया ब्रिकेट एक समान तरीके से खेत  में गिराए जाएं। दो ग्राउंड व्हील्स दोनों छोर से एप्लीकेटर को सपोर्ट करते हैं और फ्लोट कीचड़दार खेत स्थिति में आसान मूवमेंट देता है।

20. यूरिया ब्रिकेट ऐप्लिकेटर के साथ कोनोवीडर

कोनोवीडर के पीछे एक साथ निराई काम सहित यूरिया ब्रिकेट्स के प्रयोग के लिए इसे लगाया गया है। इसमें दो शंकु, एक फ्लोट, एक ब्रिकेट हॉपर, ब्रिकेट वितरण प्रणाली और फ्रेम एवं  हैंडल लगा हुआ है। यह लोहे की सामग्री, जीआई शीट, एमएस फ्लैट आदि का उपयोग करके बनाई गई है। यह मशीन गीली भूमि में धान की फसल और यूरिया ब्रिकेट प्रयोग के बीच निराई के लिए उपयोगी है। एप्लीकेटर का काम कोनोवीडर के समान होता है, इससे संचालक वीडर को धक्का देता है और उसी समय कुछ अंतराल पर हैंडल पर लगे क्लच को एक बार में एक या दो यूरिया ब्रिकेट रखने के लिए धक्का देता है। यूरिया ब्रिकेट को भूमि में रखने की दक्षता, निराई हेतु आगे और पिछे चलन के लिए ऑपरेटरों की क्षमता पर निर्भर करती है और साथ ही यूरिया ब्रिकेट को खेत में डालने के लिए क्लच को धक्का देती है।

 

21. पौध वृद्धि को बढ़ावा देने वाली जीवाणुओं की तेजी से जांच के लिए सरलकॉम्बो किट

पौध वृद्धि को बढ़ावा देने वाली जीवाणुओं की शीघ्र जांच हेतु एक सरल कॉम्बो-किट तैयार की गई है और इसकी मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं। इसके द्वारा-

  • छह पीजीपीबी लक्षणों जैसे इण्डोल एसिटिक एसिड, अमोनिया, सिडरोफोर प्रोडक्शंस, फॉस्फेट घुलनशीलता और नाइट्रोजन निर्धारण क्षमता का चार दिनों के भीतर मूल्यांकन किया जा सकता है।
  • प्रशीतित स्थिति के तहत इस किट का स्व जीवन 5-6 महीने है।
  • संचालन के लिए आसान और कम लागतयुक्त पद्धति है।
  • प्रयोग करने पर आसानी से फेंका जा सकता है और इसका पुन:उपयोग किया जा सकता है।
  • जीवाणुओं के इनोकुलम की बहुत कम सांद्रता के लिए संवेदनशील।

22. चावल के तरल नत्रजन स्थिरीकरण जीवाणु इनोकुलेंट

एंडोफाइटिक और राइजोस्फेरिक नत्रजन फिक्सिंग तरल जीवाणु इनोक्युलंट्स के प्रत्येक उपभेद को विशेष रूप से चावल की फसल के लिए तैयार किया गया है जो फसल की उपज को कम किए बिना रासायनिक नत्रजन उर्वरकों के प्रयोग को काफी कम किया जा सकता है। इसके अलावा, इन उत्पादों में पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले अन्य नियामक जैसे इंडोल एसिटिक एसिड, अमोनिया और सिडरोफोर इत्यादि उपस्थित हैं।

संस्थान द्वारा विकसित प्रक्षेत्र उपकरण:

23. हस्तचालित तीन कतार वाला सीड ड्रिल

संस्थान द्वारा विकसित तीन कतार वाला हस्तचालित धान बीज ड्रिल में रोलर टाइप सीड मीटरिंग मैकेनिज्म है। यह 20 सेमी की कतार दूरी पर धान के बीज की शुष्क बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसकी क्षेत्र क्षमता 0.03-0.04 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इस सीड ड्रिल की लागत रु.4000 है। इस सीड ड्रिल से फसलों की बुवाई में बीज और मजदूरों को बचत होती है, एवं खरपतवार और अंतकृषि संचालन कार्य में मदद मिलती है।

24. चावल और मूंगफली के लिए संस्थान द्वारा विकसित शक्तिचालित सीड ड्रिल

यह एक पांच कतार वाला शक्तिचालित सीड ड्रिल है जिसमें प्लास्टिक के पहिए खांचे सहित लगे हैं जिनके छोर पर बीज मीटरिंग मैकेनिज्म है। यह चावल और मूंगफली के शुष्क बुआई के लिए उपयुक्त है। यह 25 सेमी की कतार से कतार की दूरी पर कार्य करता है। इस बीज ड्रिल की एक इकाई की लागत रु.22,000 है। चावल और मूंगफली के लिए क्षेत्र क्षमता क्रमशः प्रति घंटे 0.14 और 0.15 प्रति हेक्टेयर है की तथा चावल और मूंगफली के रोपण की लागत क्रमशः 1240 रुपये एवं 1200 रुपये प्रति हेक्टेयर है।

 

25. दलहन फसलों की बुआई हेतु संस्थान द्वारा विकसित शक्तिचालित सीड ड्रिल

यह एक पांच कतार वाला शक्तिचालित बीज ड्रिल है जिसमें फ्लूटेड रोलर टाइप सीड मीटरिंग मैकेनिज्म है। यह चावल, गेहूं, मूंग, और उड़द आदि की शुष्क बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसकी क्षेत्र क्षमता 0.14 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इसकी एक इकाई की लागत रु.20,000 है।

 

26.संस्थान द्वारा विकसित चार कतार वाला हस्तचालित ड्रम सीडर (हाइपरबोलाइड आकार)

कीचड़युक्त खेत में 20 सेमी की कतार दूरी पर अंकुरित धान बीज की बुआई के लिए एनआरआरआई विकसित चार कतार वाला हस्तचालित ड्रम सीडर (हाइपरबोलाइड आकार)  विकसित किया गया है। इसकी क्षेत्र क्षमता 0.030-0.034 हेक्टेयर प्रति घंटा है। छिटकावा बुआई की तुलना में इस ड्रम सीडर से बुवाई करने पर बीज दर 60- 65% कम हो जाती है और निराई की लागत लगभग 65% कम हो जाती है। इसकी एक इकाई की लागत रु.4500 है।

 

27. संस्थान द्वारा विकसित छह कतार वाला हस्तचालित ड्रम सीडर (बेलनाकार आकार)

कीचड़दार खेत में 20 सेमी की कतार दूरी पर अंकुरित धान बीज की बुआई के लिए एनआरआरआई विकसित छह कतार वाला हस्तचालित ड्रम सीडर विकसित किया गया है। इसकी क्षेत्र क्षमता 0.037-0.04 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इसकी एक इकाई की लागत रु. 6500 है। छिटकावा बुआई की तुलना में इससे बुआई करने पर बीज दर 35-40% कम हो जाती है और निराई लागत 55% कम हो जाती है।

28. संस्थान द्वारा विकसित चार कतार वाला हस्तचालित धान प्ररोपक

यह 20-25 दिनों की आयु वाले चटाईदार धान की रोपाई के लिए उपयुक्त है। कतार से कतार  की दूरी 24 सेमी रखी जाती है। इसकी क्षेत्र क्षमता 0.018-0.020 हेक्टेयर प्रति घंटा है। यह लगभग 30-40% श्रम आवश्यकता और रोपाई संचालन में 40% लागत बचाता है। इसकी एक इकाई की लागत रु. 8500 है।

29. संस्थान द्वारा विकसित हस्तचालित फिंगर वीडर

एनआरआरआई विकसित हस्तचालित फिंगर वीडर का उपयोग ऊपरीभूमि के साथ-साथ निचलीभूमि चावल के लिए भी किया जा सकता है। संचालक हैंडल को आगे और पीछे ले जाता है जिससे दोनों क्रियाओं से खरपतवार उखड़ जाते हैं। इसकी क्षेत्र क्षमता 0.012 से 0.02 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इसकी एक इकाई की लागत रु.250 है। यह सस्ता हस्तचालित उपकरण है, जिससे श्रम की आवश्यकता 35-40% तक कम हो जाता है और महिला किसानों के लिए श्रम कम होने की दृष्टि से उपयुक्त है।

30. संस्थान द्वारा विकसित हस्तचालित स्टार कोनो वीडर

यह गीली भूमि में खरपतवारों को काटने, मथने और उन्हें खेत में दबाने के लिए उपयुक्त है। वीडर में लगे कट की चौड़ाई 10-15 सेमी है। यह एक कतार में संचालित होता है। तारानुमा ब्लेड और शंक्वाकार ड्रम खरपतवारों को काटते हैं और उन्हें मिट्टी में दबा देते हैं। इससे श्रम की आवश्यकता को 50-75% तक कम हो जाता है और स्थानीय श्रमिकों के लिए श्रम कम होने की दृष्टि से उपयुक्त पाया गया। इसकी क्षेत्र क्षमता 0.013-0.017 हेक्टेयर प्रति घंटा है। इसकी एक इकाई की लागत रु.1850 है।

31. संस्थान द्वारा विकसित पोर्टेबल शक्तिचालित धान थ्रेशर

एनआरआरआई विकसित पोर्टेबल शक्तिचालित धान थ्रेशर में वायर लूप प्रकार का थ्रेशिंग ड्रम लगा है। बेल्ट एवं पुली के माध्यम से 1.0 एचपी सिंगल फेज इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा थ्रेशिंग ड्रम को घूर्णन शक्ति मिलती है। यह छोटे और सीमांत किसान हेतु धान की पैदावार के लिए किफायती और उपयुक्त है। इसकी क्षमता 3 से 4 क्विंटल/हैक्टर है। इसकी एक इकाई की लागत रु.20,000 है।

32. संस्थान द्वारा विकसित हस्तचालित धान ओसाई मशीन

एनआरआरआई विकसित हस्तचालित धान ओसाई मशीन, धान की फसल को साफ करने के लिए एक सरल हस्तचालित धान ओसाई यंत्र है, जो छोटे किसानों और महिलाओं के अनुकूल है। इसकी धान सफाई करने की क्षमता लगभग 100 किलोग्राम/ घंटा है जो कि 96-98% सफाई दक्षता है। इस मशीन की लागत रु.5,500 है।

33. संस्थान द्वारा विकसित शक्तिचालित धान ओसाई-सह-क्लीनर

एनआरआरआई विकसित शक्तिचालित धान ओसाई-सह-क्लीनर, धान की फसल को साफ करने के लिए बिजली से चलने वाली मशीन है। इसकी धान सफाई करने की क्षमता 500 किलोग्राम / घंटा है, जो कि 99% सफाई दक्षता है। मशीन की लागत 1,000 रुपये है।

34. लघु धान उसना इकाई

यह एक छोटे आकार की धान उसना इकाई है जो बेहतर प्रक्रिया को नियोजित करके गुणवत्ता वाले उसना चावल का उत्पादन करती है। इस प्रक्रिया में धान को 75 डिग्री सेल्सियस पर 3.5 घंटे तक भिगोया जाता है और इसके बाद 30-45 मिनट के लिए खुली भाप दिया जाता है। यह प्रक्रिया बिना किसी ख़राब गंध और बेहतर उपभोक्ता पसंद सहित रंगीन चावल का उत्पादन करने के लिए एकसमान उसना सुनिश्चित करती है। एक बैच में 75 किलोग्राम धान को उसना करने में 5-6 घंटे लगते हैं। इस मशीन की लागत रु.5,500 है।


35. धान भूसी और चोकर चूल्हा

एनआरआरआई विकसित धान भूसी और चोकर चूल्हा 1.2 किलो सूखी भूसी का उपयोग करके गैसीकरण सिद्धांत पर 40 मिनट तक लगातार जलता है। इस स्टोव की लागत लगभग रु.550 है।