कांटिजेन्स योजना

आकस्मिक योजनाएं

अनियमित मौसम की स्थिति के तहत चावल के लिए आकस्मिक योजना

क. शीध्र सूखा

  • जून और जुलाई के महीने में मानसून के देरी से आने के कारण सूखा पड़ने की स्थिति में किसान या तो फसल की बुवाई नहीं कर पाते हैं या बोई गई फसल को नुकसान होता है। शीघ्र एवं मध्यम अवधि की चावल किस्में (105-120 दिन) जैसे कि नवीन, शताब्दी, ललाट, अन्नदा, चंदन, सहभागी धान आदि को वर्षाश्रित उथली निचलीभूमियों में 15 दिनों वाली अंकुरित पौधों का उपयोग करके सितंबर के पहले सप्ताह में बेहतर फसल की स्थापना के लिए 40:40:40 किलोग्राम नाइट्रोजन, फोस्फोरस एवं पोटाश का आधारी प्रयोग के साथ बुबाई किया जा सकता है।
  • यदि अगस्त के अंत तक वर्षा आने में विलंब हो जाती है, तो वर्षाश्रित उथली निचलीभूमियों में सीधी बुआई हेतु चावल किस्में वंदना, कलिंग III, अंजलि, सहभागी धान, खंडगिरी, पारिजात, नरेंद्र 97 की तरह शीघ्र (90-105 दिन) पकने वाली चावल की किस्मों की खेती की जा सकती है तथा बेहतर फसल की स्थापना के लिए 30 किलोग्राम फोस्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश का आधारी प्रयोग किया जा सकता है। बुवाई करने के 7-15 दिन बाद प्रारंभिक नाइट्रोजन उर्वरक की मात्रा 30 किलोग्राम प्रति हैक्टर है।
  • मध्यम निचली वाले क्षेत्रों में, जहाँ सीधी बुआई संभव नहीं है, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे की लंबी अवधि वाली किस्मों गायत्री, सरला, वर्षा आदि की 60 दिनों वाली पौधों का 15 x 10 से.मी. की दूरी पर रोपाई करें तथा 40:40:40 किलोग्राम नाइट्रोजन, फोस्फोरस एवं पोटाश का आधारी प्रयोग करें।
  • तटीय लवण क्षेत्रों में, लुणीश्री, लूणा सुवर्णा, लूणा संपद, एसआर 26 बी जैसे लवणता सहिष्णु चावल की किस्मों के अधिक दिनों वाले पौधों की रोपाई सितंबर के पहले सप्ताह तक 30:30:30 किलोग्राम नाइट्रोजन, फोस्फोरस एवं पोटाश का आधारी प्रयोग किया जा सकता है।
  • उपरोक्त स्थितियों में सलाह दी जाती है कि मेंड की ऊँचाई को बढ़ाया जाना चाहिए और रिसन को रोकने के लिए मेंड के छेदों बंद कर देना चाहिए तथा खेतों को खरपतवार मुक्त रखा जाना चाहिए।
  • देरी से रोपाई के मामले में या अगस्त या सितंबर के आरंभ में सीधी बुआई करने पर विलंबित धान के लिए रोपाई करने के 15-20 दिन बाद कीटनाशकों जैसे थियामेथोक्साम 1 ग्राम/ लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मि.ली./लीटर या एथोफेनोक्स 1 मि.ली./लीटर या क्लोरपायरीफॉस 2 मि.ली./लीटर दर पर पर्णीय छिड़काव करना चाहिए ताकि थ्रिप्स, इल्ली, हिस्पा, गालमिज और केस वर्म से बचाव हो सके। लीफ फोल्डर के लिए, केवल क्लोरपाइरीफोस को छोड़कर उपरोक्त सभी कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है। कीटनाशकों की अनुपलब्धता पर, 5 मि.ली./लीटर नीम के तेल में 2 मिलिलीटर डिटर्जेंट तरल के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है।
  • वर्षा मौसम के समाप्त होने के समय या अक्टूबर के प्रथम सप्ताह के दौरान पीला तना छेदक कीटों द्वारा अंडे देने की स्थिति में तथा लीफ फोल्डर का प्रकोप दिखाई देने पर उनके नियंत्रण हेतु पर्णीय छिड़काव करना चाहिए। पीला तना छेदक कीटों द्वारा अंडे देने की स्थिति को देखने में विफल रहने के मामले में, फसल के पुष्पगुच्छ निकलने की अवस्था में 30 किलोग्राम कार्बोफ्यूरन दाना प्रति हेक्टर के दर से प्रयोग किया जा सकता है।
  • शीघ्र अवधि के किस्मों में दूध भरण के चरण में गंधी बग के संक्रमण होने के मामले में, किसी भी कीटनाशक का पर्णीय छिड़काव विशेषकर सुबह के दौरान किया जा सकता है।
  • उपरीभूमियों हेतु यदि सूखे के कारण चावल की फसल अभी तक बोई या खराब नहीं हुई है, तो किसान लघु अवधि वाले एवं कम पानी की आवश्यकता होने वाली फसलों जैसे कि ग्वारपाठा (उत्कलमणिका), उड़द (टी-9, सरला, पीयू 19, 30), मूंग (के 851), कुल्थी (उर्मी) और तिलम (कनक, कालिका, उमा, उषा) की खेती कर सकते हैं।

ख. मध्यम/विलंबित मौसम सूखा

  • यथा स्थान वर्षा जल संरक्षण के उपायों को अपनाएं जैसे कि खेत के मेंडों में छेदों को बंद करें ताकि पानी का रिसन न हो और खेतों को खरपतवार मुक्त रहे।
  • यदि संरक्षित वर्षा जल उपलब्ध हो तो सिंचाई करें या अतिरिक्त सिंचाई भी करें।
  • यदि फसल पूरी तरह से खराब हो गई है, तो विलंब में होने वाली वर्षा के बाद परती दाल (उड़द/ लेथाइयरस) या तोरिया की खेती करें।

ग. आरंभिक बाढ़

  • बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में जहां बाढ़ के कारण फसल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो अगस्त के अंत तक वर्षाश्रित उथली निचलीभूमि में, स्वर्णा सब-1, पूजा और स्वर्णा के 40 दिनों वाली पौधों से तथा अर्ध-गहरा और गहरी निचलीभूमियों वर्षाधान, दुर्गा, सरला एवं हांसेश्वरी की रोपाई करने की सिफारिश की जाती है।
  • बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में जहां बाढ़ के कारण फसल आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई है, बाढ़ पानी के कम होने के तुरंत बाद अधिक दिनों वाली पौधों से रोपाई या क्लोनल दौजियों से स्थानको भरें तथा नाइट्रोजन 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर पर प्रयोग करें जिससे तेजी से नए पत्ते और दौजियां उभरेंगी।
  • बाढ़ के पानी कम होने के तुरंत बाद इल्लियों की निगरानी और यदि आवश्यक हो तो सामुदायिक आधार पर कीटनाशक छिड़काव की जानी चाहिए।

घ. मध्यम/विलंबित मौसम बाढ़

  • वर्षाश्रित उथली निचलीभूमियों के उन क्षेत्रों में जहां मध्यम/विलंबित बाढ़ (सितंबर-अक्टूबर) के कारण चावल की फसल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है, खेत के मेड़ों में छेदों को बंद कर दें और खेत में नमी बनाए रखने के लिए खरपतवारों को निकाल दें। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में, यदि मिट्टी की नमी पर्याप्त है (थोड़ा चिपचिपा) उड़द के बीज का छिटकावा करें। यदि मिट्टी की नमी पर्याप्त नहीं है, तो भूमि को अच्छी तरह से जुताई करें और फिर उड़द की कतार बुवाई करें।
  • बाढ़ के कारण चावल की फसल को आंशिक नुकसान के मामले में, बाढ़ के पानी कम होने के तुरंत बाद नाइट्रोजन 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर पर प्रयोग करें।
  • उड़द में आरंभिक अवस्था में पत्ती खाने वाली इल्लियों 1-2 अंडे /वर्गमीटर के होने पर कंटाफ कीटनाशक (थायमेथोक्साम या इमिडाक्लोप्रिड या क्लोरोपायरिफोस) का छिड़काव किया जाना चाहिए।