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कृषि विज्ञान केंद्र कटक में आरएडब्ल्यूएफ/आरएचडब्लयूई कार्यक्रम 

कृषि विज्ञान केंद्र कटक ने ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के चार कॉलेजों के बी.एएसी (बागवानी) के चौथे वर्ष के तैंतीस छात्रों के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया। आठ सप्ताह की अवधि वाले इस ग्रामीण कृषि/बागवानी कार्य अनुभव कार्यक्रम में, छात्रों को अन्य व्यावहारिक जानकारी के साथ-साथ फसल उत्पादन के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति से अवगत कराया गया जो प्रक्षेत्र की स्थितियों में प्रयोग होते हैं। डॉ एच पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने चावल की खेती करने वालों के लिए एनआरआरआई से विकसित प्रौद्योगिकियों और जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं के बारे में छात्रों के साथ विचार-विनिमय किया। कृषि विज्ञान केंद्र कटक के विशेषज्ञों ने नियमित रूप से छात्रों के साथ विचार-विनिमय किया और फोन के माध्यम से या विचार-विनिमय के समय किसानों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब दिया। उन्होंने छात्रों को यह भी सिखाया कि किसानों के साथ बातचीत कैसे करें और सीएसआईएसए ओडीके सर्वेक्षण के साथ विधि का उपयोग करके फसल की पैदावार और उत्पादन प्रथाओं के सर्वेक्षण में उन्हें शामिल करने के साथ-साथ ग्रामीण मूल्यांकन भी करें एवं सीखें।

ओडीके के उपयोग से डेटा संग्रह

कटक जिले के 30 गांवों में फसल की पैदावार और उत्पादन प्रथाओं का सर्वेक्षण किया गया। प्रत्येक गाँव के सात किसान परिवारों को यादृच्छिक रूप से चुना गया था। ओपन डेटा किट आधारित सर्वेक्षण ने सबसे बड़े खेती की जाने वाले क्षेत्र के जीपीएस रीडिंग के साथ उत्पादन प्रथाओं को जोड़ा गया। चावल की एक स्पष्ट परिदृश्य प्राप्त करने के लिए किस्म, उर्वरक, कीटनाशक, रसायन और उपयोग किए गए खरपतवार, खेती पद्धति, उत्पादन और उपज प्राप्त अर्थशास्त्र आदि शामिल किए गए थे।

ग्रामीण कृषि मौसम सेवा पर किसान जागरूकता कार्यक्रम

कृषि विज्ञान केंद्र कटक द्वारा नरसिंहपुर प्रखंड के पुरखुटिया एवं बहाली गाँव में 23 मार्च 2019 को तथा टांगी-चौद्वार प्रखंड के कंकाली गाँव में 25 मार्च 2019 को ‘ग्रामीण कृषि मौसम सेवा’ के बारे में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में कुल दो सौ किसानों और महिला किसानों ने भाग लिया। कृषि विज्ञान केंद्र कटक के प्रभारी अधिकारी डॉ डी आर सडंगी ने जलवायु परिवर्तन के बदलते परिदृश्य में मौसम आधारित कृषि-सलाह के महत्व पर वर्णन किया। डॉ टी आर साहू, विषयवस्तु विशेषज्ञ, बागवानी ने बागवानी फसलों की वृद्धि और विकास पर मौसम तत्व के महत्व पर जोर दिया। डॉ आर के महांता, विषयवस्तु विशेषज्ञ, पशुविज्ञान ने पशुधन और मुर्गी पालन के लिए विभिन्न चरम घटनाओं का सामना करने के लिए विभिन्न जलवायु अनुकूलन रणनीति पर जोर दिया। श्री देबाशीष जेना, विषयवस्तु विशेषज्ञ, कृषि-मौसम विज्ञान ने प्रखंड स्तर की कृषि-सलाहकार सेवा के महत्व पर प्रकाश डाला, जिसे भारतीय मौसम विभाग-भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयास द्वारा कार्यान्वित किया गया है तथा कृषि पर मौसम के पूर्वानुमान पर बताया तथा “ग्रामीण कृषि मौसम सेवा” परियोजना के कार्यकलापों के महत्व के बारे में वर्णन किया।