हिंदी शिक्षण योजना, (गृह मंत्रालय, भारत सरकार) का विशिष्ट समारोह
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में दिनांक 22 जनवरी 2019 को संस्थान के निदेशक महोदय की अध्यक्षता में हिंदी शिक्षण योजना का एक विशिष्ट समारोह आयोजित किया गया। इसमें संस्थान के सभी प्रभागाध्यक्षों तथा हिंदी शिक्षण योजना वर्ष 2019 के प्रारंभिक सत्र जनवरी-मई में नामित सभी वैज्ञानिकों/अधिकारियों/कर्मचारियों ने भाग लिया। हिंदी शिक्षण योजना, कटक के मुख्यालय भारतीय संचार निगम लिमिटेड के प्रधान महाप्रबंधक श्री हरीश चंद्र महांती इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
कार्यक्रम के आरंभ में सहायक निदेशक, राजभाषा श्री आशुतोष कुमार तिवारी ने राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में हिंदी शिक्षण योजना के प्राध्यापक श्री मदन कुमार को शिक्षण योजना के बारें में जानकारी देने के लिए आमंत्रित किया। श्री मदन कुमार ने शिक्षण योजना की पृष्ठभूमि, उद्देश्य तथा सरकारी कर्मचारियों के लिए इसकी उपयोगिता पर महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया।
इसके पश्चात संस्थान के हिंदी अनुवादक श्री बिभु कल्याण महांती ने संस्थान में हिंदी प्रशिक्षण की स्थिति पर एक तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया और बताया कि किस प्रकार विगत दो वर्षों में संस्थान में हिंदी प्रशिक्षण पाने वाले वैज्ञानिकों/अधिकारियों/कर्मचारियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. लोटन कुमार बोस ने विगत सत्र में हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत अपने प्रशिक्षण के अनुभवों को सभा के साथ साझा किया और संतुष्टि व्यक्त की।
मुख्य अतिथि श्री हरीश चंद्र महांती ने अपने संबोधन में हिंदी भाषा की सहजता और इसकी व्यापकता की चर्चा की। उन्होंने देश के विभिन्न भागों में अपनी पदस्थापना के दौरान होने वाले भाषिक अनुभवों, चुनौतियों तथा इनमें हिंदी भाषा की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और कहा कि हिंदी भाषा भारत की एममात्र ऐसी भाषा है जो पूरे देश में आसानी से बोली और समझी जाती है। उन्होंने हिंदी शिक्षण योजना, कटक के वर्ष 2019 के आरंभिक सत्र में राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों/अधिकारियों/कर्मचारियों के रिकार्ड नामांकन (कुल 37) के लिए संस्थान के निदेशक डॉ.हिमांशु पाठक को बधाई दी और प्रशिक्षार्थियों को शुभकामनाएं दी।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में निदेशक महोदय डॉ.हिंमाशु पाठक ने हिंदी शिक्षण योजना के संस्थान में सफलतापूर्वक लागू होने पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने हिंदी भाषा की वैश्विक स्थिति पर प्रकाश डाला और कहा कि मंदारिन और अंग्रेजी के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जानी वाली भाषा है जो प्रत्येक भारतीय के लिए अत्यंत गर्व का विषय है। उन्होंने जोर देकर
कहा कि ऐसी भाषा जो हमारी राजभाषा है और अपनी व्यापकता तथा स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सबसे बड़ा संपर्क सूत्र होने के कारण हमारा राष्ट्रभाषा भी है और विश्वस्तर पर जिसे तीसरी सबसे बड़ी भाषा होने का गौरव प्राप्त है, ऐसी भाषा के संवर्धन और विकास के लिए हम सभी को अपने व्यक्तिगत स्तर प्रयास करना चाहिए तथा अपने सरकारी कामकाज के साथ-साथ वैज्ञानिक एवं साहित्यिक रचनाओं में भी हिंदी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
सभा के अंत में सहायक निदेशक, राजभाषा ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, संस्थान के निदेशक महोदय, सभी प्रभागों के अध्यक्षों तथा नवप्रशिक्षुओं को समारोह की सफलता के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया।