भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक ने 79वां स्थापना दिवस मनाया

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भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक ने 79वां स्थापना दिवस मनाया

भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने 23 अप्रैल, 2024 को अपना 79वां स्थापना दिवस और धान दिवस मनाया। कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक ने वर्चुअल मोड पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जुड़े थे। आईसीएआर के शिक्षा विभाग के उप महानिदेशक डॉ. आर.सी. अग्रवाल, ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के कुलपति, प्रोफसर प्रभात कुमार राउल, आईसीएआर के खाद्य एवं चारा फसल के सहायक महानिदेशक डॉ. एस.के. प्रधान सम्मानित अतिथि थे। भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. ए. सडंगी, केंद्रीय जलजीवपालन अनुसंधान संस्थान भुवनेश्वर के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार साहू, कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के निदेशक डॉ. प्रदीप दे, एग्री-इनोवेट इंडिया, नई दिल्ली के सीईओ डॉ. प्रवीण मलिक भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। एनआरआरआई, कटक के निदेशक डॉ. ए.के. नायक ने समारोह की अध्यक्षता की।
डॉ. पाठक ने दूसरा डॉ. के. रमैया स्थापना दिवस व्याख्यान “कृषि में अनुसंधान एवं विकास को पुनः उन्मुख करना: उत्पादकता से लाभप्रदता और स्थिरता” विषय पर दिया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने वर्णन किया कि खेती योग्य भूमि के सिकुड़ने, खेती की बढ़ती लागत, घटते पानी और मिट्टी के संसाधनों जैसी कृषि में चुनौतियों के बीच, सभी कृषि-संबंधित अनुसंधान, विशेष रूप से चावल अनुसंधान को बदलने की जरूरत है ताकि जैव-फोर्टिफाइड, कम जीआई किस्मों का विकास किया जा सके। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि टिकाऊ और जलवायु प्रतिरोधी होने के साथ-साथ विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी होगा। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह आईसीएआर अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार गतिविधियों की योजना, प्रचार और समन्वय के माध्यम से भारतीय कृषि के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।
संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. नायक ने अतिथियों एवं गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया तथा एनआरआरआई की महत्वपूर्ण उपलब्धियों, संकर चावल के क्षेत्र में की गई नवीनतम अनुसंधान गतिविधियों, विभिन्न जैविक और अजैविक तनावों से निपटने की रणनीतियों के साथ-साथ चावल अर्थशास्त्र, मूल्य संवर्धन और उत्पाद विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि एनआरआरआई जलवायु-प्रतिरोधी चावल की किस्मों के विकास और विमोचन के लिए किस तरह रणनीति अपनाया है जिसका उद्देश्य आधुनिक तकनीक के उपयोग के माध्यम से वर्षा आधारित क्षेत्रों में चावल उत्पादन को स्थिर करना है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने कहा कि आईसीएआर पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन, प्रबंधन के लिए शीर्ष संगठन है और भारत में कृषि शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में लंबे समय से प्रमुख भूमिका निभा रहा है। उन्होंने भविष्य में सहयोग के लिए सफल सहयोग और संभावित क्षेत्रों के उदाहरण साझा करते हुए कृषि शिक्षा और अनुसंधान को आगे बढ़ाने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी के महत्व पर जोर दिया।
डॉ. एस.के. प्रधान ने अपने उद्बोधन में एक वर्ष में चावल की 19 किस्मों को विकसित करने और जारी करने के लिए एनआरआरआई के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विस्तार सेवाओं, बीज वितरण कार्यक्रमों और क्षमता निर्माण पहलों सहित किसानों के बीच नई किस्मों को अपनाने और प्रसार को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियों के बारे में बताया।
ओयूएटी, भुवनेश्वर के कुलपति डॉ. पी.के. राउल ने अपने उद्बोधन में कहा कि ओयूएटी कृषि संबंधी मुद्दों को संबोधित करने, फसल उत्पादकता बढ़ाने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान में कार्यरत है। यह विश्वविद्यालय और कृषक समुदाय के बीच एक मजबूत संबंध को बढ़ावा दे रहा है जिससे किसान उत्पादन बढ़ाने और अतिरिक्त आय उत्पन्न करने में सक्षम हो रहे हैं।
सोलह सेवानिवृत्त कर्मचारियों, वैज्ञानिक, तकनीकी, प्रशासनिक श्रेणी से संबंधित दस कर्मियों को उनके संबंधित अनुशासन में ‘सर्वश्रेष्ठ कार्मिक’ के रूप में सम्मानित किया गया। इस शुभ आयोजन में बड़ी संख्या में संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी, छात्र और सेवानिवृत्त कर्मचारी शामिल हुए।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. राहुल त्रिपाठी तथा डॉ. गुरु पी. पांडी ने सभी कार्यों का समनव्य किया।
प्रक्षेत्र का दौरा, विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन, प्रकाशन (20) जारी करना, गणमान्य के साथ एनआरआरआई कटक हब के छात्रों की विचार-विनिमय जैसे विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। शाम के दौरान एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘मधुरम’ आयोजित किया गया जिसमें कर्मचारी, विद्यार्थी और बच्चे शामिल थे।

Author: crriadmin