"ओडिशा से चावल निर्यात को बढ़ावा देना: शक्तियां, अवसर और बाधाएं” शीर्षक पर कार्यशाला आयोजित

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“ओडिशा से चावल निर्यात को बढ़ावा देना: शक्तियां, अवसर और बाधाएं” शीर्षक पर कार्यशाला आयोजित

भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ओडिशा में “ओडिशा से चावल निर्यात को बढ़ावा देना: शक्तियां, अवसर और बाधाएं” विषय पर 21 नवंबर, 2022 को एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई जिसका उद्देश्य i) राज्य से चावल निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण बिंदुओं की पहचान करना ii) राज्य से चावल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रणनीति विकसित करना और iii) कार्य योजना में विभिन्न भागीदारों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को अंतिम रूप देना था।
राज्य से चावल निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण बिंदुओं की पहचान के लिए अपने विचार और बहुमूल्य अनुभव साझा करने के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में भाग लिया। भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक के निदेशक डॉ. ए.के. नायक ने कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की जबकि आईसीएआर, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (एफएफसी) डॉ. एस.के. प्रधान इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे। ओयूएटी के अनुसंधान के डीन डॉ. एस.के. स्वाईं और विस्तार प्रभाग के डीन प्रो. पी.जे. मिश्र तथा एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण) कोलकाता के क्षेत्रीय प्रमुख श्री संदीप साहा सम्मानित अतिथि थे। डिप्टी डीजीएफटी, भारत सरकार, वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्यशाला में शामिल हुए जबकि डॉ. मुकुंद वरियर, राज्य समन्वयक, आईआरआरआई-ओडिशा परियोजना, कार्यशाला में उपस्थित थे और अपने विचार साझा किए। आईसीएआर और आरकेवीवाई (रफ्तार-इन्फ्रास्ट्रक्चर) योजना, ओडिशा सरकार से वित्त पोषण सहायता का उपयोग करके आईसीएआर-एनआरआरआई, कटक में विकसित अत्याधुनिक गुणवत्ता विश्लेषण प्रयोगशाला सुविधा के लिए वेबसाइट को इस अवसर पर लॉन्च किया गया ताकि चावल मूल्य श्रृंखला के हितधारकों के लिए विश्लेषणात्मक सुविधा उपलब्ध हो सके। भाकृअनुप-एनआरआरआई के वैज्ञानिकों, ऑल ओडिशा राइस मिलर्स एसोसिएशन के सचिव, श्री लक्ष्मीनारायण दीपक रंजन दास और सीडब्ल्यूसी (सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन) के अधीक्षक श्री दीपांकर बिस्वास ने विचार व्यक्त किए। राज्य से निर्यात के अवसर और खतरे तथा शक्ति एवं कमजोरियों की पहचान करने के लिए एनालिटिकल हाइरारकी प्रोसेस पद्धति का पालन किया गया। निर्यात के महत्वपूर्ण मुद्दों को प्राथमिकता देने के लिए किसानों, मिलरों, निर्यातकों और विपणक से विश्लेषण के लिए इनपुट दर्ज किए गए, जिनका उपयोग निर्यात श्रृंखला में सभी भागीदारों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों सहित, राज्य से चावल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रणनीति दस्तावेज तैयार करने के लिए किया जाएगा। यह दस्तावेज़ चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य के लिए दिशानिर्देश के रूप में काम करेगा। रोडमैप तैयार करने के लिए बिंदुओं पर चर्चा की गई। संस्थान द्वारा जारी सुगंधित चावल की चार विभिन्न किस्मों के लिए प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया का उपयोग करते हुए संवेदी विश्लेषण डेटा नोट किया गया।
कार्यशाला का समापन अत्याधुनिक कीटनाशक अवशेष विश्लेषण प्रयोगशाला, अत्याधुनिक गुणवत्ता विश्लेषण प्रयोगशाला और संस्थान की मिलिंग और प्रसंस्करण इकाई के दौरे के साथ हुआ। अत्याधुनिक कीटनाशक अवशेष विश्लेषण प्रयोगशाला जीसीएमएस, एचपीएलसी और एलसीएमएस-एमएस से लैस है और चावल के लिए अनुशंसित 100 से अधिक कीटनाशकों का विश्लेषण करने में सक्षम है। अत्याधुनिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशाला GCMS-MS, HS-SPME के साथ ऑटो सैंपलर, AAS, ED-XRF, बनावट विश्लेषक, RVA, NIRDS और कई उच्च-स्तरीय उपकरणों से सुसज्जित है। चावल में अरोमा कंपाउंड अर्थात 2 एसिटाइल 1, पाइरोलाइन की सुगंध के परिमाणीकरण के लिए प्रोटोकॉल को प्रयोगशाला में मानकीकृत किया गया है। 17 आवश्यक अमीनो एसिड, प्रोटीन, वसा, एमाइलोज मात्रा, लौह और जस्ता मात्रा, रंग पैरामीटर, चावल के खाना पकाने के मापदंडों के विश्लेषण सहित उनतीस विभिन्न गुणवत्ता लक्षणों के विश्लेषण के लिए प्रोटोकॉल को मानकीकृत किया गया है और भुगतान के आधार पर अन्य हितधारकों द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध कराया गया है। विश्लेषणात्मक सुविधाओं की जानकारी वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती है। मिलिंग और प्रोसेसिंग इकाई मिलिंग, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग सुविधाओं से लैस है। चावल से विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत उत्पाद बनाने के लिए पफिंग, पॉपिंग, फ्लैटनिंग, एक्सट्रूज़न, बैकिंग आदि की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र में विभिन्न तकनीकों और उद्यमिता विकास पर प्रशिक्षण दिया जाएगा जिसकी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। डॉ. एस. सरकार और डॉ. जी.ए.के. कुमार (पाठ्यक्रम-निदेशक), डॉ. बी. मंडल, डॉ. पी. संघमित्रा, डॉ. एन. बसाक, डॉ. जी. कुमार (सह-निदेशक), डॉ. एम. चक्रवर्ती, डॉ. टी. अदक, डॉ. आर पी साह, डॉ. टी.बी. बागची, डॉ. शिवशंकरी एम., इंजिनीयर एस. प्रियदर्शनी, श्री ए. प्रधान (समन्वयक) ने कार्यशाला का समन्वयन किया।

Author: crriadmin