एनआरआरआई-जैवउर्वरक मॉडल और अम्लीय मिट्टी के सुधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम ढेंकनाल जिले में 27.09.24 को आयोजित

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एनआरआरआई-जैवउर्वरक मॉडल और अम्लीय मिट्टी के सुधार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम ढेंकनाल जिले में 27.09.24 को आयोजित

“ओडिशा के चावल आधारित फसल और खेती प्रणाली के लिए गुणवत्ता वाले बायोइनोकुलेंट्स का उत्पादन, लोकप्रियकरण और आपूर्ति”(बायो-पोषक) और एसएएफएआर परियोजनाओं के तहत ढेंकनाल जिले के कंटापाल, प्रखंड के कांकडहाड में ओडिशा के कृषक समुदाय के लिए एनआरआरआई-जैवउर्वरक मॉडल और बेसिक-स्लैग और फ्लाई ऐश के माध्यम से अम्लीय मिट्टी के सुधार पर 27.09.24 को एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का समन्वयन बायो-पोषक परियोजना के पाठ्यक्रम निदेशक और प्रधान अन्वेषक डॉ उपेन्द्र कुमार और डॉ प्रताप भट्टाचार्य, सीपीडी अध्यक्ष और एसएएफएआर परियोजना के प्रधान अन्वेषक द्वारा किया गया। डॉ बी मोंडल, डॉ एस पॉल, डॉ रुबीना खानम और डॉ डी आर सडंगी इसके सह-समन्वयक हैं। एनआरआरआई जैवउर्वरक मॉडल और चावल, दालों और सब्जियों में एनआरआरआई-एंडोएन/एंडो-एनपीके/एजोला/राइजोबिया, ट्राइकोडर्मा, टेक-डीकंपोजर के उपयोग के बारे में डॉ उपेन्द्र कुमार ने बताया, जबकि डॉ बी मोंडल ने जैवउर्वरकों के आर्थिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया और डॉ एस पॉल ने जैवउर्वरकों के महत्व और सिफारिशों के बारे में समझाया। डॉ प्रताप भट्टाचार्य ने बुनियादी स्लैग के माध्यम से अम्लीय मिट्टी के सुधार और मिट्टी के संशोधन के रूप में फ्लाई ऐश के आर्थिक और पर्यावरण अनुकूल उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया। डॉ. रुबीना खानम और डॉ. डी आर सडंगी ने मृदा नमूनाकरण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। कुल 150 किसानों और परियोजना कर्मचारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और लाभ उठाया, जिसमें कंटापाल पंचायत की सरपंच श्रीमती तिलतम्मा सिंह और कांकड़हाड़ के बीएओ श्री प्रीतम प्रुष्टि उपस्थित थे। किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड और इको-लाइम उत्पाद भी वितरित किए गए।

Author: crriadmin