पुरी जिले के नीमापाड़ा के गड़गुआतिरा में सीआरआरआई जैवउर्वरक मॉडल पर प्रशिक्षण सह प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित

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पुरी जिले के नीमापाड़ा के गड़गुआतिरा में सीआरआरआई जैवउर्वरक मॉडल पर प्रशिक्षण सह प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित 

ओडिशा के कृषक समुदाय के लिए सीआरआरआई जैव उर्वरक मॉडल पर प्रशिक्षण सह प्रदर्शन 28.01.2025 को ओडिशा के पुरी जिले के गड़गुआतिरा, नीमापाड़ा में जैव-पोषक परियोजना के अंतर्गत आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का समन्वय भाकृअुनप-सीआरआरआई, कटक के वैज्ञानिकों, परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. उपेंद्र कुमार, डॉ. पी पन्नीरसेल्वम, प्रधान वैज्ञानिक और डॉ. ए के मुखर्जी, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में बाह्य संसाधन व्यक्ति डॉ. देबाशीष रायमहापात्र, सीयूटीएम के सहायक प्रोफेसर और डॉ. निरंजन चिनारा, ओयूएटी के सहायक प्रोफेसर और नीमापड़ा कॉलेज की प्रिंसिपल श्रीमती पुष्पिता राजगुरु भी मौजूद थीं। किसानों को एनआरआरआई-टेक डीकंपोजर के फायदे समझाए गए, उसके बाद एक टन धान पराली का व्यावहारिक प्रदर्शन किया गया, जिसे 10 किलोग्राम गाय के गोबर, 5 किलोग्राम यूरिया और 1 किलोग्राम टेक डीकंपोजर के प्रयोग से 45 दिनों की अवधि में लगभग 450 किलोग्राम खाद में बदला जा सकता है, जिससे मिट्टी के जैविक कार्बन में सुधार होता है और पौधों के पोषण, अगली फसल के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है जो कि किसानों की आय में सुधार के लिए अपशिष्ट से धन की प्राप्ति का एक उपाय है। डॉ उपेंद्र कुमार ने जैव-पोषक परियोजना और हानिकारक रासायनिक उर्वरकों की जगह एनआरआरआई एंडोएन के उपयोग के लाभों पर जोर दिया और विभिन्न सब्जी फसलों में एनआरआरआई एंडोएन के प्रयोग का प्रदर्शन किया। डॉ ए के मुखर्जी ने जैवउर्वरक के रूप में ट्राइकोडर्मा के महत्व को विस्तार से बताया और मूंग में बीज उपचार का प्रदर्शन किया। ओडिशा के कृषक समुदाय के लिए यह अद्वितीय सीआरआरआई जैवउर्वरक मॉडल, जैव-पोषक परियोजना के तहत ओडिशा सरकार के कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग द्वारा प्रायोजित है।

Author: crriadmin