एनआरआरआई विकसित वाणिज्यिक चावल-मछली खेती प्रौद्योगिकी द्वारा ओडिशा के एक किसान की सफल कहानी
ओडिशा के जाजपुर जिले के धर्मशाला प्रखंड के अंतर्गत महिसरा गाँव के श्री सुनाकर मिश्रा ने एनआरआरआई, कटक द्वारा विकसित चावल-मछली प्रौद्योगिकी का अनुकरण करके 35 एकड़ का एक बड़ा प्रक्षेत्र का निर्माण किया है। उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक, जाजपुर टाउन शाखा द्वारा स्वीकृत कुल 93.52 लाख रुपये में से भूमि को तैयार करने एवं आकार देने के लिए 53 लाख रुपये मुख्य रूप से खर्च किए हैं और शेष ऋण राशि को चावल, मछली और झींगे के बीज की खरीद के लिए (3.70 लाख रुपये) खर्च किए हैं। श्री सुनाकर मिश्रा ने पोकोनाइन हिटाची मशीन (एलएनटी 90) खरीद कर पूरे खेत में मिट्टी की खुदाई के काम में प्रयोग किया।
इस परियोजना में योजना के पूरा होने के बाद कृषि उत्पादन और निवेश निगम लिमिटेड (APICOL) ओडिशा से 20 लाख रुपये की सब्सिडी राशि मिलेगी। श्री मिश्रा एनआरआरआई की अर्ध-गहरे पानी की किस्मों (वर्षाधान, दुर्गा) सहित मीठे पानी झींगें के लगभग 3 लाख (मैक्रोब्रैकियम रोसेनबर्गी) के बच्चों और मछली (कत्ला, रोहू, लबियो रोहिता) के 2 लाख छोटी मछली पालन कर रहे हैं। सब्जियों मे (करेला, भिंडी, तुरई), कंद की फसलें और दलहन (अरहर) की खेती 8 मीटर वाली चौड़ी बांधों पर उगा रहे हैं। श्री मिश्रा ने लगभग 10,000 उन्नत अमरूद और 2,000 ऊतक संवर्धन वाले केले, 200 नारियल के पौधों को उगाने की योजना बनाई है, इसके अलावा 2,000 सागौन (डालबर्गिया सिसो) पौधों के रोपण के साथ कृषि वानिकी योजना भी बनाई है। श्री मिश्रा को खेत से 60 लाख रुपये की वार्षिक आय की उम्मीद है और पहले साल में ही प्राप्त ऋण राशि को पूरी तरह से वापस कर पाने का भरोसा है। इसके अलावा, श्री मिश्रा अपने 2.2 करोड़ रुपये को कुल 60 एकड़ क्षेत्र में खेत और अन्य संरचना विकास के लिए चरणबद्ध तरीके से उपयोग हेतु कल्पना की है तथा एनआरआरआई के वैज्ञानिकों की विशेषज्ञ सलाह के साथ खेत में गुणवत्ता चावल, मछली, झींगा, बागवानी फसलें, वृक्षारोपण फसलें और चावल की व्यावसायिक खेती करने की इच्छा है।
किसान को चावल-मछली-झींगा और अन्य फसलों से 16 लाख रुपये की शुद्ध आय प्राप्त हुई है। श्री मिश्रा ने वर्ष 2007-08 में ६० लाख रुपये का और ऋण लिया तथा उस रुपये से खेत का नवीनीकरण किया एवं खेत को कुल ६५ एकड़ क्षेत्र में विस्तार किया जिसमें ३ खेत शामिल हैं। 55 एकड़ (35+20 एकड़) वाली दो खेतों में चावल-मछली की खेती की जाती है तथा 10 एकड़ क्षेत्र में मीठे पानी के झींगे की खेती की जा रही है। उन्होंने बांध पर आम की उन्नत किस्म “आम्रपाली”के 350 पौधे रोपे हैं, इसके अलावा, बांध पर नारियल और अन्य कृषि वानिकी पौधे लगाए हैं। वे बांध पर सब्जियों की फसलों की खेती भी बढ़ाई है। वे इस वर्ष मुर्गीपालन घटक को एकीकृत करने की योजना बनाई है और उन्हें इससे अधिक आय पाने की उम्मीद है।