वर्षाश्रित निचलीभूमि चावल की खेती में नवाचार: सतत उत्पादन के लिए किसानों को सशक्त बनाना
असम के गेरुआ में स्थित भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के अधीन कार्यरत क्षेत्रीय वर्षाश्रित निचलीभूमि चावल अनुसंधान केंद्र (आरआरएलआरआरएस) ने एनईएच घटक के तहत 29 फरवरी, 2024 को “वर्षाश्रित निचलीभूमि में चावल के उत्पादन हेतु में हाल में हुए विकास” पर किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। आरएलआरआरएस-एनआरआरआई, गेरुआ के अध्यक्ष डॉ. कांचन साइकिया ने कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण दिया। प्रशिक्षण के तकनीकी सत्र के दौरान ” वर्षाश्रित निचलीभूमि में चावल उत्पादन के आर्थिक पहलू”, ” वर्षाश्रित निचलीभूमि में चावल आधारित फसल प्रणाली”, “वर्षाश्रित निचलीभूमि में चावल की विभिन्न वैज्ञानिक खेती प्रथाएँ” और ” वर्षाश्रित निचलीभूमि में धान सह मछली पालन” विषयों पर व्याख्यान प्रदान किया गया। इस अनुसंधान केंद्र के पूर्व प्रभारी अधिकारी डॉ. एन.के. सरमा और डॉ. आर. भगवती भी प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित थे और उन्होंने क्रमशः “असम में चावल की विरासत और ऐतिहासिक महत्व” तथा “पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एनआरआरआई चावल की उपयुक्त किस्में” पर व्याख्यान दिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कामरूप, नलबाड़ी, बारपेटा, दर्रांग, चराइदेव, डिब्रूगढ़ और असम राज्य के एक पहाड़ी जिले पश्चिम कार्बी आंगलोंग और मेघालय के पश्चिम गारो हिल जिले के कुल 219 किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, क्षमता निर्माण के लिए 92 लाभार्थियों के बीच उद्यान उपकरण, ग्रीन शेड नेट, वर्मी बेड और सिंचाई पाइप वितरित किए गए और 138 लाभार्थियों को उनकी आजीविका में सुधार के लिए एनईएच के घटक के तहत सुपारी के 500 पौधे, असम नींबू के 500 पौधे और काली मिर्च के 410 पौधे वितरित किए गए। आरआरएलआरआरएस, गेरुआ, असम के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी श्रीमती सिकिमोनी बरुआ ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न कार्यक्रमों का समन्वयन किया और वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी श्री दिबाकर खान ने धन्यवाद ज्ञापन किया।