भाकृअनुप-एनआरआरआई ने चौथा विश्व दलहन दिवस 2022 मनाया

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भाकृअनुप-एनआरआरआई ने चौथा विश्व दलहन दिवस 2022 मनाया

राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (एनआरआरआई), कटक ने दालों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 10 फरवरी 2022 को अपने परिसर में “चौथा विश्व दलहन दिवस” मनाया। संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने इस वर्ष विश्व दलहन दिवस की शीर्षक “स्थायी कृषि-खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने में युवाओं को सशक्त बनाने के लिए दलहन” तय की है।
श्रीमती कल्पना महापात्र ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थी एवं सभा को संबोधित करते हुए कहा कि दालें कम वसा वाले प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत हैं जो विशेष रूप से शाकाहारी और गरीब लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो मांस, मछली, अंडा या डेयरी उत्पाद खाकर प्रोटीन प्राप्त करने का जोखिम नहीं उठा सकते। प्रोटीन के अलावा, दालें रेशा, विटामिन और खनिजों जैसे लौह, जस्ता, फोलेट (विटामिन B9) और मैग्नीशियम के सस्ते और बेहतर स्रोत हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि दाल का सेवन कई रूपों में जैसे दाल, खिचड़ी, चपाती, मिश्रण, नाश्ता, सूप, केक, मिठाई आदि और दिन के किसी भी समय नाश्ते से लेकर रात के खाने तक किया जा सकता है। उन्होंने किसानों और महिला किसानों के लाभ के लिए इस तरह के एक प्रभावी जागरूकता कार्यक्रम के आयोजन में संस्थान के प्रयासों की सराहना की। बाद में, उन्होंने भाग लेने वाले किसानों को दलहन बीज, बीज उपचार के लिए विभिन्न जैव-कारक, जैव-उर्वरक और प्रमाण पत्र वितरित किए।
संस्थान के निदेशक डॉ. पद्‌मिनी स्वाईं ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि दालें खाद्य सुरक्षा, पोषण मूल्य और पर्यावरणीय लाभों के मामले में बहुत महत्वपूर्ण फसल हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मिट्टी की उर्वरता और मिट्टी की जैव विविधता में सुधार के अलावा, मिट्टी में नाइट्रोजन निर्धारण के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करके जलवायु परिवर्तन के शमन में दालें बहुत उपयोगी हैं। उन्होंने प्रतिभागियों को मोटापा, उच्च रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल जैसे स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को नियंत्रित करने में इसकी उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने किसानों और महिला किसानों को व्यक्तिगत खपत, अधिशेष बिक्री और एक उद्यम के रूप में वैज्ञानिक रूप से दाल की खेती करने का सुझाव दिया जो उन्हें आर्थिक स्थिरता और खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में मदद कर सकता है।
डॉ. बी.सी. पात्र, अध्यक्ष, फसल उन्नयन प्रभाग ने अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) कार्यक्रम के तहत किए जा रहे कार्यकलापों के बारे में वर्णन किया और सामाजिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ जी ए के कुमार ने भी सभा को इस संबंध में संस्थान द्वारा उठाए कदमों के बारे में जानकारी दी। डॉ. बी.एस. शतपथी ने ‘दालों की किस्में और उत्पादन तकनीक’; डॉ. एस.डी. महापात्र ने दलहन फसलों में सुरक्षा तकनीकों तथा डॉ. एम. शिव शंकरी ने ‘कटाई उपरांत तकनीकी एवं दालों की मूल्य संवर्धन पर जागरूकता व्याख्यान दिए। प्रतिभागियों को लाभान्वित करने के लिए विभिन्न दलहन बीज, खाद्य उत्पादों और जैव उर्वरकों पर प्रदर्शनियों का प्रदर्शन भी आयोजित किया गया था। कर्मचारियों और छात्रों के अलावा, ओडिशा के कटक, जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा जिलों से अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) और किसान प्रथम कार्यक्रम के तहत अस्सी से अधिक लाभार्थी किसानों और महिला किसानों ने भाग लिया। प्रारंभ में संयोजक डॉ. एस.के. मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम का संचालन किया जबकि अंत में एससीएसपी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. विश्वजीत मंडल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

मुख्य अतिथि श्रीमती कल्पना महापात्रा दर्शकों को संबोधित करतीं हुई निदेशक महोदया डॉ पद्‌मिनी स्वाईं दर्शकों को संबोधित करतीं हुई
मुख्य अतिथि एवं निदेशक दलहन की खेती के लिए प्रमाणपत्र एवं महत्वपूर्ण आदानों का वितरण करते  हुए गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दाल प्रदर्शन का परिदर्शन
कार्यक्रम का उद्घाटन करते गणमान्य व्यक्ति प्रतिभागियों का एक वर्ग

Author: crriadmin