भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने 23 अप्रैल, 2023 को अपना 78वां स्थापना दिवस और धान दिवस मनाया

News

भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने 23 अप्रैल, 2023 को अपना 78वां स्थापना दिवस और धान दिवस मनाया

भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने 23 अप्रैल, 2023 को अपना 78वां स्थापना दिवस और धान दिवस मनाया। भारत सरकार, नई दिल्ली के, पौधा किस्म एवं कृषक संरक्षण अधिकार प्राधिकरण (पीपीवी और एफआरए) के माननीय अध्यक्ष डॉ. त्रिलोचन महापात्र इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। आईसीएआर, नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (एफएफसी), डॉ. एस.के. प्रधान, आईसीएआर, नई दिल्ली के संयुक्त सचिव, वित्त श्री जी.पी. शर्मा सम्मानित अतिथि थे।
सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. महापात्र ने कहा कि पीपीवी और एफआरए सभी फसलों की पौधों की नई किस्मों के विकास का समर्थन करता है, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जनसंख्या वृद्धि के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा और कृषि स्थिरता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा में निर्धारित दृष्टिकोण एक ऐसी संसार की कल्पना की गई है जहां पर्याप्त, सुरक्षित, सस्ता और पौष्टिक भोजन हो; जहां आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और गरीबी और भुखमरी का उन्मूलन, स्थायी और समावेशी हैं और जहां विकसित प्रौद्योगिकियां अनुकूल, जलवायु-संवेदनशील और जैव विविधता पर महत्व दिया जाता है। उन्होंने ‘कुपोषण की चुनौती का सामना: खाद्य-मार्ग प्रतिमान’ विषय पर डॉ. के. रमैया स्थापना दिवस व्याख्यान भी दिया और भविष्य के लिए खाद्य विकल्प के रूप में मिलेट्स पर जोर दिया। मिलेट्स के संबंध में भारत सरकार की पहल खाद्य सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आगे बताया कि मिलेट्स की खेती करना आसान है, यह जलवायु अनुकूल और सूखा प्रतिरोधी है। यह संतुलित पोषण का एक समृद्ध स्रोत है, जो खेती के प्राकृतिक तरीकों के अनुकूल है और इसके लिए कम पानी की आवश्यकता होती है।
संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. नायक ने संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों विशेष रूप से हाल ही में विमोचित किस्मों और विभिन्न पारिस्थितिकी के लिए उनकी उपयुक्तता पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, उन्होंने किस्मों के विकास, मृदा-स्वास्थ्य रखरखाव के विकसित तरीकों, प्रथाओं के पैकेज, कृषि मशीनीकरण, चावल की गुणवत्ता नियंत्रण, कीट नियंत्रण के साथ-साथ किसान समुदाय की बेहतरी के लिए आउटरीच कार्यक्रमों के संदर्भ में एनआरआरआई की भूमिका पर जोर दिया।
डॉ. एस.के. प्रधान, सहायक महानिदेशक (एफएफसी) ने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले पशु खाद्य का स्रोत की उपलब्धता, मिट्टी की स्वास्थ्य में सुधार, जैव विविधता में वृद्धि और कृषि प्रणालियों की दीर्घकालिक उत्पादकता द्वारा चारा फसलें स्थायी कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाली चारा फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना जैसी कई पहलें शुरू की हैं।
श्री जी.पी. शर्मा, संयुक्त सचिव, वित्त, आईसीएआर ने कहा कि शिक्षा के वैश्वीकरण के बदलते परिदृश्य के मद्देनजर वैज्ञानिक संगठनों में संसाधन, निधि, लेखांकन और वित्तीय रिपोर्टिंग परियोजना संसाधनों तथा व्यय की सटीक एवं उचित समय पर वित्तीय प्रबंधन संबंधी जानकारी सुनिश्चित हो सकेगी।
इस कार्यक्रम में ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश और झारखंड के दो सौ से अधिक किसानों और महिला किसानों ने भाग लिया। भाकृअनुप-एनआरआरआई, कृषि विज्ञान केंद्र, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), आदि की तकनीकों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने 18 सेवानिवृत्त कर्मचारियों, संस्थान के 8 श्रेष्ठ कर्मचारियों, 4 मेधावी छात्रों को सम्मानित किया। इसके अलावा 11 प्रगतिशील किसानों और महिला किसानों को चावल की खेती में नवीन प्रथाओं को अपनाने के लिए सम्मानित किया गया। प्रारंभ में कार्यक्रम के सह अध्यक्ष डॉ. बी. मंडल ने अतिथियों एवं गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया तथा अंत में कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. जी.ए.के. कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
किसानों के लिए प्रक्षेत्र परिदर्शन, वैज्ञानिक-किसान संवाद बैठक जैसे विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। शाम के समय एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘मधुरम’ का आयोजन किया गया जिसमें कर्मचारी, विद्यार्थी और बच्चे शामिल हुए।

Author: crriadmin