भूरा पौध माहू-प्रतिरोधी चावल किस्मों और ड्रोन प्रौद्योगिकी के ज्ञान पर किसानों को सशक्त बनाना
ओडिशा के कटक जिले के महांगा प्रखंड के गौड़गोप गांव में भूरा पौध माहू प्रतिरोधी किस्मों के लोकप्रियकरण और धान फसल में ड्रोन प्रयोग के प्रदर्शन कार्यक्रम पर 12 नवंबर, 2024 को एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्थान के फसल सुरक्षा प्रभाग के अध्यक्ष डॉ. एस डी महापात्र ने एनआरआरआई प्रकाश जाल, फेरोमोन जाल और मकड़ियों से भरे पुआल बंडल, प्राकृतिक शत्रुओं को आकर्षित करने के लिए फूलों के पौधों की मेड़ रोपण, कीटों और बीमारियों की सटीक पहचान के लिए राइसएक्सपर्ट ऐप का उपयोग करके कम निवेश वाली कीट प्रबंधन प्रथाओं के महत्व पर जोर दिया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एम. चक्रवर्ती ने भूरा पौध माहू प्रतिरोधी किस्मों जैसे सीआर धान 317, सीआर धान 805 और सीआर धान 809 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इनके पोषण संबंधी लाभों और अनुकूलनीयता की भी जानकारी दी और बताया कि किस तरह ये किस्में कीटों और बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। वैज्ञानिक डॉ. जी.पी. पांडी जी ने धान में भूरा पौध माहू के प्रबंधन के लिए प्रभावी पारंपरिक तरीकों पर चर्चा की, जिसमें वैकल्पिक गीलापन और सुखाने, कतार रोपण और भूरा पौध माहू को स्थायी रूप से प्रबंधित करने के लिए अन्य समेकित नाशकजीव प्रबंधन रणनीतियां जैसे तरीके शामिल हैं। वैज्ञानिक डॉ. बसन गौड़ा ने चावल के कीटों के दमन में जैव कारकों के उपयोग पर जोर दिया। डॉ. गौड़ा ने चावल में ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक के प्रयोग का खेत पर प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के समापन में डॉ. एस.डी. महापात्र ने समापन भाषण दिया जिसमें उन्होंने टिकाऊ, उच्च उपज वाली खेती के लिए कीट प्रतिरोधी चावल की किस्मों और उन्नत तकनीकों को अपनाने की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और उन्नत कीट प्रबंधन उपकरणों के साथ किसानों को लाभान्वित करने की दिशा में, टिकाऊ कीट प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने को बढ़ावा मिला। श्री एकम्र कानन पधान, श्री सूर्यप्रसाद लेंका, श्री रुद्र माधब पंडा ने ड्रोन प्रदर्शन और कार्यक्रम के सुचारू संचालन में सहायता की। कार्यक्रम में 100 से अधिक किसानों और अन्य लोगों ने भाग लिया। प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत वैज्ञानिक और प्रधान अन्वेषक डॉ. जी.पी. पांडी जी ने की, जिसने दिन के कार्यक्रमों के लिए एक उत्साहपूर्ण माहौल तैयार किया।