सीआरआरआई, कटक में पूर्वी क्षेत्र क्षेत्रीय कृषि मेला 2024-25 का उद्घाटन

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सीआरआरआई, कटक में पूर्वी क्षेत्र क्षेत्रीय कृषि मेला 2024-25 का उद्घाटन

केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक 27 फरवरी से 1 मार्च 2025 के दौरान पूर्वी क्षेत्र क्षेत्रीय कृषि मेला 2024-25 का आयोजन कर रहा है। “5जी समर्थित जलवायु स्मार्ट कृषि: स्थिरता और प्रतिरोधिता के लिए कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव” शीर्षक वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में स्थिर कृषि को सक्षम करने में 5जी तकनीक की भूमिका पर उद्योग, सरकार और अनुसंधान संस्थानों के बीच संचार और सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करना है। भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, भुवनेश्वर के निदेशक मुख्य अतिथि और डॉ. जी.सी. आचार्य, केंद्रीय बागवानी परीक्षण केंद्र के अध्यक्ष सम्मानित अतिथि थे।
डॉ. नायक ने अपने अभिभाषण में कहा कि आजादी के समय खाद्यान्न उत्पादन 55 मिलियन टन था, जो अब बढ़कर 355 मिलियन टन हो गया है। पिछले वर्ष बागवानी उत्पादन भी 340 मिलियन टन था। कृषि आज भी हमारे देश की रीढ़ है। भारत दूध उत्पादन में विश्व में शीर्ष पर है तथा पिछले वित्तीय वर्ष में भारत में अंडों का उत्पादन 142 बिलियन से अधिक रहा। खाद्यान्न उत्पादन में भारत अब एक आश्रित देश से अधिशेष देश बन गया है। इन सभी उपलब्धियों का श्रेय शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों, किसानों तथा हरित क्रांति के योगदान को जाता है। उन्होंने कहा कि अधिशेष उत्पादन के बावजूद हमें जलवायु परिवर्तन तथा छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए कम लाभ की स्थिति जैसी चुनौतियों से निपटना है। 5जी तकनीक तथा स्मार्ट कृषि नवाचारों के सम्मिलन से स्थिर, कुशल तथा डेटा-संचालित कृषि का एक नया युग शुरू हो रहा है। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह 5जी इन राज्यों में स्थिर कृषि को एक सामान्य वास्तविकता बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
डॉ. ए. सडंगी ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण के स्वास्थ्य और कृषि की स्थिरता के लिए कृषि में जल संरक्षण का महत्व लगातार बढ़ रहा है। टपकन सिंचाई, जल संचयन, सिंचाई समय-सारिणी, सूखा प्रतिरोधी किस्में, शुष्क और जैविक खेती, खाद और मल्चिंग जैसी जल बचत तकनीकों का उपयोग करके कम पानी में बेहतर उपज वाली फसलें उगाई जा सकती हैं।
डॉ. जी.सी. आचार्य ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि उभरते कीट और रोगाणु तथा कीटनाशकों के प्रति बढ़ती प्रतिरोधकता बागवानी के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां बनी हुई हैं। नए और मौजूदा कीटों और बीमारियों से निपटने के लिए नए तरीकों की आवश्यकता है। कीटनाशकों का अत्याधिक उपयोग से बचाव, पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण ताजा सब्जियों और फलों का उत्पादन करने के लिए आवश्यक है।
इस मेले में किसानों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, कृषि उद्यमियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 2000 हितधारक भाग लिया। किसानों और वैज्ञानिकों के बीच सीधे संवाद की सुविधा प्रदान करके, यह कार्यक्रम क्षेत्र में अनुसंधान प्रगति और व्यावहारिक कार्यान्वयन के बीच की खाई को मिटाएगा।
तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान, लाइव प्रदर्शन, फसल सेमिनार, प्रदर्शनी, किसान गोष्ठी और इंटरैक्टिव किसान-वैज्ञानिक चर्चा जैसी गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला ने प्रतिभागियों को नवीन तकनीकों और आधुनिक कृषि पद्धतियों के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्रदान की। विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करते हुए उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्नत डिजिटल उपकरणों, स्मार्ट सिंचाई तकनीकों, जलवायु-प्रतिरोधी फसल किस्मों और सटीक खेती के तरीकों को एकीकृत करने पर बताया। कार्यक्रम में कृषि इनपुट, मशीनरी, प्रसंस्करण और विपणन में तकनीकी नवाचारों का भी प्रदर्शन किया गया, जिससे कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा मिला। डॉ. जी.ए.के. कुमार ने आयोजन सचिव के रूप में कार्य किया, जबकि डॉ. बी. मंडल, डॉ. एन.एन. जाम्भुलकर और डॉ. एस. पॉल सह-आयोजन सचिव थे।

Author: crriadmin