जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए असुरक्षित एवं संवेदनशील धान किसानों को सशक्त बनाने हेतु सीआरआरआई की पहल
किसानों को जलवायु परिवर्तन पीड़ितों से जलवायु प्रतिरोधी योद्धाओं में बदलने के प्रयास में, भाकृअनुप-केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई), कटक में “बदलती जलवायु के अनुसार उन्नत धान उत्पादन प्रौद्योगिकियां” पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। एटीएमए दरभंगा, बिहार द्वारा प्रायोजित यह कार्यक्रम 6-9 जनवरी, 2025 तक चला और इसमें बिहार के दरभंगा जिले के कमजोर क्षेत्रों के 24 किसानों का स्वागत किया गया।
कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी, दरभंगा, बिहार द्वारा प्रायोजित यह कार्यक्रम 6-9 जनवरी, 2025 तक आयोजित हुआ जिसमें बिहार के दरभंगा जिले के असुरक्षित क्षेत्रों से 24 किसानों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को चावल की उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु चुनौतियों के बीच स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करना था। भाकृअनुप-सीआरआरआई, कटक के निदेशक डॉ. ए.के. नायक ने समापन समारोह की अध्यक्षता की और जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।
समाज विज्ञान प्रभाग के अध्यक्ष डॉ. जी.ए.के. कुमार ने जलवायु प्रतिरोधक्षमता की नींव के रूप में एक स्थाई बीज प्रणाली के महत्व को रेखांकित किया। समाज विज्ञान प्रभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. पाल पाठ्यक्रम निदेशक के रूप में कार्य किया तथा पूरे प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। यह पहल किसानों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने तथा संवेदनशील क्षेत्रों में चावल की खेती के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपकरण और ज्ञान प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।