चावल फसल में नाशककीटों के प्रबंधन के लिए आईटीके आधारित वनस्पतियों सहित जैव-गहन समन्वित नाशकजीव प्रबंधन खेती पद्धति
अनुसूचित जनजाति किसानों द्वारा सहज में स्वीकार करने एवं उनके द्वारा उपयोग करने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, चावल फसल के विभिन्न नाशकजीवों के विरुद्ध प्रभावशीलता के परीक्षण के लिए आईटीके के माध्यम से कई पौधों की पहचान की गई और वैज्ञानिक रूप से उनका मान्य किया गया तथा वर्ष 2007 से ओडिशा के बालासोर जिले के नीलगिरी प्रखंड के अनुसूचित जनजाति वाले क्षेत्र में जनजाति उपयोजना (मायाबिनी जेना, एसपी/टीएसपी/2006) के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की एक परियोजना के माध्यम से जैव-गहन समन्वित नाशकजीव प्रबंधन आरंभ किया गया। प्रभावी पौधे हैं – नीम (आजारिक्टा इंडिका), करंज (पोंगामिया पिन्नाटा), वाटर पेपर (पॉलीगोनम हाइड्रोपाइपर), परासी (क्लिस्थानथस कोलिनस), जंगली गन्ना (सैकरम स्पोनाटियम) और कोचिला (स्ट्राइचेनस नक्स-वोमिका)। खरीफ मौसम के दौरान कीटों के प्रबंधन के लिए उपयुक्त किस्मों के चयन और पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने हेतु संस्थान द्वारा परिष्कृत आईटीके को किसानों द्वारा सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।
स्थान: नीलगिरि प्रखंड, बालासोर जिला
क्षेत्र: लगभग 100 एकड़
काम का वर्ष: 2007-2015