From Participatory Seed Production to Self-sufficient Sustainable Seed System for Rice - Hindi

सहभागी बीज उत्पादन से चावल आत्मनिर्भर स्थिर बीज प्रणाली

राष्ट्रीय बीज परियोजना के तहत, महांगा प्रखंड के किसानों को शामिल करके किसान भागीदारी बीज उत्पादन आरंभ किया गया। वर्ष 2013-14 में, ओडिशा के महांगा के गौडगोप के 50 एकड़ के क्षेत्र में महांगा कृषक विकास मंच सहित एक समझौते के तहत, पूजा किस्म का बीज उत्पादन किया गया। लगभग 368.72 क्विंटल की विश्वसनीय बीज खरीदा गया तथा प्रसंस्करण के बाद 376.20 क्विंटल बीज किसानों को बेचा गया। वर्ष 2014-15 में, ओडिशा के गौडगोप के 80 एकड़ के क्षेत्र में एवं महांगा में 20 एकड़ के क्षेत्र में पूजा और गायत्री किस्म के बीज का उत्पादन किया गया। लगभग 874.368 क्विंटल बीज, जो विश्वसनीय बीज मानक के लिए योग्य थे, खरीदे गए और इन्हें प्रसंस्करण के बाद किसानों को विश्वसनीय बीज के रूप में बेचे गए। वर्ष 2015-16 के दौरान, महांगा के गौड़गोप तथा केंद्रपाड़ा के भंडिलो नामक दो गाँवों में, क्रमश: महांगा कृषक विकास मंच और महात्मा गांधी किसान क्लब के सहयोग से किसान भागीदारी बीज उत्पादन किया गया। इस बीज उत्पादन में एनआनआरआई की चार लोकप्रिय किस्में पूजा, सरला, गायत्री और स्वर्ण सब-1 शामिल हैं। लगभग 1005.751 क्विंटल विश्वसनीय मानक योग्य वाली बीज की खरीद की गई और प्रसंस्करण के बाद किसानों को विश्वसनीय बीज के रूप में बेचा गया।
हालांकि, सहभागी बीज उत्पादन मॉडल के बहुत सारे फायदे हैं, इसमें स्थिरता और व्यापकता के तत्व का अभाव है। सहभागी बीज उत्पादन मॉडल की स्थिरता एनआनआरआई पर निर्भरशील है जिसे लंबे समय तक बनाए रखना संभव नहीं है। इसलिए, स्थिरता और व्यापकता को शामिल करने के लिए मॉडल को संशोधित किया गया था। संशोधित मॉडल को चावल आत्मनिर्भर स्थिर बीज प्रणाली (4एस4आर) कहा गया। इस प्रणाली में औपचारिक बीज प्रणाली की समस्याओं को ध्यान में रखा गया है और 4एस4आर मॉडल में आईटी और एफपीओ का उपयोग करके समाधान प्रदान किया गया है जिससे स्थानीय किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार, सही मात्रा में, सही गुणवत्ता सहित, कम लागत के साथ स्थानीय स्तर पर बीज उपलब्ध हो सकेगा जो कि वर्तमान बीज प्रणाली उत्पादन सही समय पर आपूर्ति करने में विफल रही है।

डॉ ए के नायक, निदेशक (प्रभारी) प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए

डॉ जी ए के कुमार, परियोजना के प्रधान अन्वेषक प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए

चावल आत्मनिर्भर स्थिर बीज प्रणाली (4एस4आर) मॉडल को कार्यान्वित और संचालित किया गया जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से वित्तीय सहायता के साथ परियोजना मोड पर महांगा प्रखंड में ही 4एस4आर मॉडल को प्रयोग में लाया गया। सबसे पहले, भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ओडिशा में 27 जुलाई 2016 को 4एस4आर (चावल आत्मनिर्भर स्थिर बीज प्रणाली) पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम-सह-कार्यशाला आयोजित की गई। प्रभारी निदेशक डॉ ए के नायक ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया एवं इस कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, किसानों और राज्य के अधिकारियों ने भाग लिया। परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ जी ए के कुमार ने अपने संबोधन में 4एस4आर के उद्देश्य, इसके अवधारणा जो स्थानीय बीज उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन प्रणाली पर केंद्रित है पर वर्णन किया तथा कहा कि इस मॉडल की जागरूकता पैदा करना जरूरी है।

दर्शकों का एक वर्ग

कार्यक्रम के उद्देश्य हैं- i) ओडिशा के लिए धान बीज उत्पादन विशेषज्ञ प्रणाली वाले 4एस4आर धान बीज उत्पादन पोर्टल का विकास; भूमि और संसाधनों के नक्शे का उपयोग करके प्रखंड स्तर पर धान बीज उत्पादन की योजना के लिए जीआईएस आधारित उपाय; स्थानीय विपणन के लिए बीज की मांग, बीज की उपलब्धता, बीज की कीमत और बीज की आपूर्ति के लिए एमआईएस; और किसान समूह द्वारा बीज उत्पादन के लिए कृषि सलाहकार सेवा के लिए मोबाइल आधारित उपाय। ii) धान बीज उत्पादन और किसान उत्पादक संगठन पर भागीदारी प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करना। iii) धान बीज उत्पादन और कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मचारियों और प्रखंड स्तर के कृषि अधिकारियों और किसान उत्पादक संगठन के गठन पर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण। किसान उत्पादक संगठन का विकास करना जिसमें किसान-उत्पादक समूह, प्रसंस्करण इकाई और विपणन इकाई शामिल हैं। एसडब्ल्यूटी विश्लेषण और एनालिटिकल हाइरारकी प्रोसेस को स्थानीय बीज प्रणाली से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता देने के लिए उपयोग किया गया। कार्यशाला के दौरान डॉ जी ए के कुमार, प्रधान अन्वेषक, डॉ आर के साहू, सह- प्रधान अन्वेषक और श्री एम के शर्मा, जिला कृषि अधिकारी, सालेपुर ने व्याख्यान दिए। कार्यक्रम के समापन में डॉ बी सी पात्र, आईटीएमयू ने धन्यवाद ज्ञापित किया।