चावल में आईपीएम पर ई-चासी परियोजना के तहत प्रशिक्षण

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चावल में आईपीएम पर ई-चासी परियोजना के तहत प्रशिक्षण

भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में ‘चावल में एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम)’ पर एक परिचायात्मक-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम 22 मार्च 2024 को ई-सीएचएएसआई (स्थायी गहनता के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के लिए छोटे धारकों की अनुकूलनीयता बढ़ाना डिजिटल संचालित ज्ञान प्रसार परियोजना) के तहत आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में गंजाम जिले के रनझाली, पालियम एवं कोसलापल्ली गांवों के 30 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। किसानों को विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें विभिन्न कीटों, चावल के रोगों और उनके नुकसान के लक्षणों पर ज्ञान को समृद्ध करना, पर्यावरण के अनुकूल चावल के कीट और रोग प्रबंधन के लिए जैव नियंत्रण कारकों और जैव-कीटनाशकों को खेत में उपयोग करना, कीट प्रबंधन के लिए उनका उपयोग, कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन शामिल है। किसानों को प्रकाश जाल और फेरोमोन जाल जैसी कीट निगरानी तकनीकों का उपयोग करने और बेहतर कीट और रोग नियंत्रण प्राप्त करने के लिए उपयुक्त नोजल के चयन के लिए भी जागरूक किया गया। चावल के विभिन्न कीटों, बीमारियों और सूत्रकृमि की पहचान करने के लिए एनआरआरआई द्वारा विकसित आईसीटी उपकरण, राइसएक्सपर्ट ऐप का उपयोग करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने पर विशेष जोर दिया गया। ड्रोन-आधारित कीटनाशक अनुप्रयोग, फसल सुरक्षा में हाल के दिनों में हुए विकास को एनआरआरआई फार्म में प्रदर्शित किया गया है। किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और परियोजना स्थलों पर भाकृअनुप-एनआरआरआई द्वारा विकसित की गई विभिन्न प्रौद्योगिकियों की सराहना की। भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक के प्रभारी निदेशक डॉ.एम.जे.बेग ने चावल में कीट और रोग प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। भाकृअनुप-एनआरआरआई के फसल सुरक्षा प्रभाग के अध्यक्ष एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. एस.डी. महापात्र ने कीटों और बीमारियों के शीघ्र निदान और निगरानी के महत्व, पर्यावरण-अनुकूल कीट प्रबंधन विकल्पों, आधुनिक उपकरणों के उपयोग और चावल में आईपीएम के महत्व पर जानकारी दी। वैज्ञानिक डॉ. प्रभुकार्तिकेयन एस.आर और डॉ. रघु एस ने फसल सुरक्षा प्रभाग और ई-चासी परियोजना के कर्मचारियों के सहयोग से इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वय किया।

Author: crriadmin