एनआरआरआई एक नज़र में

आधार

सन् 1942 में तत्कालीन बंगाल प्रांत में (जो अब पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के राज्य में हैं) चावल के विनाशकारी भूरा धब्बा रोग (हेलमिंथोस्पोरियम एसपीपी) के प्रकोप से चावल की गंभीर कमी हुई। इसके अतिरिक्त, इस त्रासद स्थिति का सामना करने के लिए तत्कालीन प्रशासन की विफलता के परिणामस्वरूप 1943 में बंगाल में भीषण अकाल हुआ। इसी पृष्ठभूमि में, केंद्र सरकार ने सन् 1944 में चावल के सभी पहलुओं पर गहन अनुसंधान हेतु एक केंद्रीय संस्थान की स्थापना का निर्णय लिया। तत्पश्चात, केंद्र सरकार ने ओडिशा राज्य सरकार द्वारा कटक में विद्याधरपुर गांव के पास उपलब्ध कराई गई 60 हैक्टर की परीक्षण प्रक्षेत्र भूमि में 23 अप्रैल 1946 को केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) की स्थापना की। डॉ के.रमैय्या, प्रख्यात चावल वैज्ञानिक इसके संस्थापक निदेशक थे। बाद में, वर्ष 1966 में, संस्थान का प्रशासनिक नियंत्रण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) में स्थानांतरित किया गया था। वर्ष 2015 में संस्थान का नाम बदलकर भाकृअनुप- राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (एनआरआरआई) कर दिया गया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के फसल विज्ञान प्रभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान कार्यरत है। संस्थान के तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र– वर्षाश्रित ऊपरीभूमि पारिस्थितिकी पर चावल अनुसंधान करने के लिए केंद्रीय वर्षाश्रित उपराऊंभूमि चावल अनुसंधान केंद्र (सीआरयूआरआरएस), हजारीबाग, झारखंड में, बाढ़ प्रवण निचलीभूमि पारिस्थितिकी पर चावल अनुसंधान करने के लिए क्षेत्रीय वर्षाश्रित निचलीभूमि चावल अनुसंधान केंद्र (आरआरएलआरआरएस), गेरुआ, असम में तथा तटीय लवण पारिस्थितिकी पर चावल अनुसंधान करने के लिए आंध्र प्रदेश के नायरा में हैं। संस्थान के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन दो कृषि विज्ञान केंद्र भी कार्यरत हैं। पहला कृषि विज्ञान केंद्र कटक के संथपुर में तथा दूसरा कृषि विज्ञान केंद्र कोडरमा के जयनगर में अवस्थित है।

दृष्टिकोण

चावल अनुसंधान के माध्यम से हमारे राष्ट्र की स्थायी खाद्य और पोषण सुरक्षा तथा समान समृद्धि सुनिश्चित करना।

लक्ष्य

चावल उत्पादकों और उपभोक्ताओं की वर्तमान और भावी पीढ़ियों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना।

मिशन

चावल की खेती की उत्पादकता, लाभप्रदता और स्थिरता को बढ़ाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का विकास और प्रसार करना।

अवस्थिति

राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान ओडिशा राज्य के कटक नगर में (20 डिग्री उत्तर एवं 86 डिग्री पूर्व पर औसत समुद्र सतह से 24 मीटर ऊंचाई पर) स्थित है। कटक में लगभग 1500 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा होती है तथा मुख्यत: जून-अक्टूबर (खरीफ या आर्द्र मौसम) के दौरान वर्षा होती है। नवंबर से मई (रबी या शुष्क मौसम) के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून से कम से कम वर्षा होती है। संस्थान भुवनेश्वर के बिजु पटनायक हवाईअड्डे से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर कटक-पारादीप के राज्य राजमार्ग पर तथा कटक रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।