भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में 09-12 मार्च, 2022 के दौरान "चावल उत्पादन पारिस्थितिकी के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली" पर कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

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भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में 09-12 मार्च, 2022 के दौरान “चावल उत्पादन पारिस्थितिकी के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली” पर कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में 09-12 मार्च, 2022 के दौरान “तटीय ओडिशा के छोटे और सीमांत किसान की आजीविका सुरक्षा के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली का विकास और प्रदर्शन” परियोजना (ईएपी- 252) के तहत “चावल उत्पादन पारिस्थितिकी के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली” विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम” आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जगतसिंहपुर जिले के रघुनाथपुर प्रखंड के विविध समूह के कुल इक्कीस किसानों/महिला किसानों/इंजीनियर/व्यवसायी/बेरोजगार युवाओं ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया और लाभान्वित हुए। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य एकीकृत कृषि प्रणाली के बारे में प्रतिभागियों के बीच जागरूकता पैदा करना और कृषि अवशेषों के पुनर्चक्रण के माध्यम से निवेश की कम लागत के साथ विभिन्न उद्यमों को वैज्ञानिक रूप से एकीकृत करना, उत्पादकता और लाभप्रदता को अधिकतम करना था। आईसीएआर की विभिन्न संस्थानों से डॉ. एस सी गिरी ने बतख एवं मुर्गीपालन के एकीकरण, डॉ. गोविंद आचार्य, सीएचईएस ने बागवानी घटकों के एकीकरण और अंतराखेती, डॉ सी लक्ष्मीनारायण, आरसी, सीटीसीआरआई ने कम लागत वाली कंद फसलों के साथ प्रणाली की उत्पादकता को अधिकतम करने, ओयूएटी के डॉ आर एन महापात्र ने गुणवत्ता शहद उत्पादन के लिए मधुमक्खी को कैसे एकीकृत और प्रबंधित करें, ओयूएटी के डॉ डॉ आलोक पात्र ने दीर्घकालिक मौद्रिक लाभ के लिए कृषि-वानिकी पर, डॉ. डी. पी. सिंहबाबू, परियोजना सलाहकार ने चावल-मछली-बतख एकीकरण के बारे में स्थान चयन, भूमि को आकार देने और प्रबंधन के बारे में जानकारी एवं व्याख्यान दिया। डॉ आर मोहंता एसएमएस, केवीके संथपुर ने जुगाली करने वाले जानवरों और छोटे पशुओं को खेती प्रणाली के अभिन्न अंग के रूप में रखने के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. बी.गौड़, वैज्ञानिक ने जैव नियंत्रण कारक के बारे में बताया, डॉ. एम. बाग ने रोगों और एकीकृत नियंत्रण उपायों के बारे में जानकारी दी। डॉ एनी पूनम, पाठ्यक्रम निदेशक ने अवशेष पुनर्चक्रण और निवेश लागत को कम करने की जानकारी दी। डॉ. बी.एस. सतपथी, पाठ्यक्रम सह-निदेशक-I ने कचरे के पुनर्चक्रण के माध्यम से खाद और कृमि-खाद बनाने पर जोर दिया। डॉ. एस. लेंका, पाठ्यक्रम सह-निदेशक-II ने अवशेष प्रबंधन और लाभप्रदता के लिए मशरूम की खेती पर व्याख्यान दिया।

अंत में समापन समारोह के दौरान कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव एवं माननीय महानिदेशक, भाकृअनुप ने प्रशिक्षण नियमावली पुस्तिका का विमोचन किया और प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया। इस समारोह में उप महानिदेशक (मत्स्य), निदेशक (वित्त), भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान, केंद्रीय मीठाजल जलजीवपालन अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान-क्षेत्रीय केंद्र, केंद्रीय बागवानी अनुसंधान संस्थान-क्षेत्रीय केंद्र, भुवनेश्वर के निदेशक इस अवसर पर उपस्थित थे।

Author: crriadmin