जाने वाले प्रश्न

किसानों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न एवं उनके उत्तर.

प्रश्न.1 एनआरआरआई में कितनी किस्में विकसित की गई हैं?
उत्तर. एनआरआरआई ने चावल के 107 किस्में विकसित की है।

प्रश्न.2 ओडिशा के विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र में खेती के लिए एनआरआरआई की कुछ अनुशंसित किस्मों के नाम बताइए?
उत्तर. सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए- हीरा, वंदना, अंजलि, कलिंग-II, कलिंग-III, सहभागीधान, सत्यभामा। सिंचित क्षेत्र के लिए-रत्ना, नवीन, शताब्दी, साकेत-4, क्षितिज, तपस्विनी, अजय, राजलक्ष्मी, गीतांजलि। उथली निचलीभूमि-पूजा, पद्मिनी, केतेकीजोहा, सावित्री, धरित्री, सीआर धान 401, सुमित। अर्ध-गहरा जल-कलाश्री, सरला, गायत्री, मोती, वर्षाधान, सीआर धान 500। गहराजल/ जलाक्रांत- वर्षाधान, दुर्गा, प्रधान धान, उत्कलप्रभा, सीआर धान 500, जलमणि। तटीय लवण-लुणीश्री, सोनामणि, लुणा संपद।

प्रश्न.3 एनआरआरआई ने कौन से संकर चावल किस्में विकसित किए हैं?
उत्तर. अजय और राजलक्ष्मी दो संकर किस्में हैं जिनकी क्रमशः 7.5 टन/हैक्टर और 7.0 टन/हैक्टर की उपज क्षमता है, दोनों की अवधि 135 दिन है।

प्रश्न. 4 ओडिशा के सुगंधित चावल की किस्में कौन सी हैं?
उत्तर.  एनआरआरआई ने सात सुगंधित चावल की किस्में विकसित की है-जैसे गीतांजलि और केतकीजोहा। इनकी अवधि अवधि क्रमशः 135 दिन और 145 दिन है तथा उपज क्रमशः 5.0 टन/ हैक्टर और 4.0 टन/ हैक्टर है।

प्रश्न.5 हम शुद्ध और स्वस्थ बीजों का उपयोग कैसे कर सकते हैं?
उत्तर. शुद्ध और स्वस्थ बीजों का उपयोग करने के लिए हमें 1 लीटर पानी में 100 ग्राम नमक मिलाकर नमक का घोल तैयार करना होगा। घोल में बीज को डुबोएं। तैरते हुए बीजों को हटा दें और बाकी बीजों को साफ पानी से धो लें।

प्रश्न  6. बीज उपचार कैसे किया जा सकता है?
उत्तर. बीजजनित रोगों को नियंत्रित करने के लिए बीजोपचार किया जाता है। बाविस्टिन 2.5 ग्राम/ किग्रा बीज या बीम 75  0.6 ग्राम / किग्रा बीज दर पर प्रयोग करें।

प्रश्न.7  नर्सरी क्यारी में अंकुरित पौधों का उपचार कैसे किया जाता है?
उत्तर. पौधों का उपचार फ्यूराडन 3 जी 250 ग्राम/100 वर्गमीटर दर पर प्रयोग द्वारा किया जाता है। गालमिज के विरूद्ध प्रतिरोधी बनाने के लिए कम से कम 25-30 दिनों वाले अंकुरित पौधों का प्रयोग करें। क्लोरपायरीफॉस 1 मिली /लीटर पानी के घोल में 10- 12 घंटे के लिए मुख्य खेत में रोपने से पहले पौधों के जड़ों को डुबोएं।

प्रश्न.8 उच्च उपज देने वाली किस्मों, संकर चावल और एसआरआई विधि के लिए रोपण दूरी क्या होगी?
उत्तर. उच्च उपज देने वाली किस्मों के लिए 20 से.मी. X 10 cm या 20 से.मी. X 15 से.मी. या 15 से.मी. X 10 से.मी. संकर चावल के लिए 20 से.मी. X 20 से.मी. दूरी तथा एसआरआई विधि में 25 से.मी. X 25 से.मी. या 30 से.मी. X 30 से.मी. रोपण दूरी है।

प्रश्न.9 वर्षाश्रित उपरीभूमि, खरीफ और रबी चावल के लिए उर्वरक की क्या मात्रा सिफारिश की गई है?
उत्तर. प्रतिकूल वर्षाश्रित भूमि के लिए उर्वरक की मात्रा नाइट्रोजन, फोस्फोरस एवं पोटाश 40-20-20 किग्रा/हेक्टेयर दर पर होगी। निचलीभूमि खरीफ सिंचित चावल में यह नाइट्रोजन, फोस्फोरस एवं पोटाश 60-30-30 किलोग्राम/हेक्टेयर होगी तथा रबी चावल के लिए नाइट्रोजन, फोस्फोरस एवं पोटाश 80-40-40 किग्रा / हेक्टेयर होगी।

प्रश्न. 10. संकर चावल और सुगंधित चावल के लिए उर्वरक की क्या मात्रा सिफारिश की गई है?
उत्तर. संकर चावल के लिए नाइट्रोजन, फोस्फोरस एवं पोटाश उर्वरक की मात्रा 100-60-60 किलोग्राम/हेक्टेयर, सुगंधित   चावल के लिए नाइट्रोजन, फोस्फोरस, पोटाश एवं जस्ता उर्वरक की मात्रा 60-30-30-25 किलोग्राम/हेक्टेयर सिफारिश की गई है।

प्रश्न.11. नर्सरी क्यारी में उर्वरक प्रबंधन कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: 10 दशमलव क्षेत्र के लिए उर्वरक की खुराक इस प्रकार है:
10 दशमलव नर्सरी क्षेत्र के लिए 2 क्विंटल सढ़ी हुई गोबर, 4.5 किलोग्राम यूरिया, 13 किलोग्राम एसएसपी और 3.5 किलोग्राम एमओपी का उपयोग करने की सिफारिश की जाती है। यदि आवश्यक हो तो बुवाई के 15 दिनों के बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में 4.5 यूरिया प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न.12. अज़ोला क्या है? अज़ोला हमारे लिए कितना फायदेमंद हो सकता है?
उत्तर: अजोला एक जलीय फर्न है। यह सहजीवी प्रक्रिया द्वारा नील हरित शैवाल की सहायता से मिट्टी में वायुमंडलीय नाइट्रोजन यौगिकीकरण करता है। इसके प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य और मृदा की उर्वरता में सुधार होता है। अजोला खरपतवार की वृद्धि को दबाता है, प्रयोग किए गए रासायनिक नाइट्रोजन की हानि को कम करता है। अजोला जैव उर्वरक का तकनीक सरल, आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से अनुकूल है। धान के खेत में रोपाई से पहले या बाद में एक बार अजोला की खेती की जाती है और 25 टन ताजा जैवपदार्थ का उत्पादन हो सकता है तथा 50 किलोग्राम नाइट्रोजन/हेक्टेयर तक योगदान कर सकता है। फसल मौसम के दौरान एक बार उगाया गया अज़ोला आसानी से 20-40 किलो नाइट्रोजन/हेक्टेयर की आपूर्ति कर सकता है। अज़ोला का उपयोग मुर्गी, बत्तख, मछली और पशुओं के खाद्य के रूप में किया जा सकता है।

प्रश्न. 13. किसान कॉल सेंटर क्या है?
उत्तर.  किसान कॉल सेंटर का उद्देश्य किसानों को कृषि ज्ञान व जानकारी मुफ्त में उपलब्ध कराना है। किसान कॉल सेंटर का नंबर 1551 है।

प्रश्न. 14. उच्च उपज देने वाली किस्मों की अंकुरित पौधों की आयु तथा एसआरआई विधि के लिए अंकुरित पौधों  की आयु कितनी होनी चाहिए?
उत्तर. उच्च उपज देने वाली किस्मों की अंकुरित पौधों की आयु 20-30 दिनों की तथा एसआरआई के लिए 10-12 दिनों की होनी चाहिए।

प्रश्न. 15. शाकनाशी का उपयोग करके खरपतवारों को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर: हाथों से निराई की अपेक्षा शाकनाशी असरदार एवं कम खर्चीला हैं।
बुटाक्लोर (1.0-1.5 किग्रा / हेक्टेयर), एनिलोफोस (0.4-0.6 किग्रा / हेक्टेयर), प्रिटिलाक्लोर (0.6-0.8 किग्रा / हेक्टेयर) तथा प्रोपैनिल (2.0 किग्रा / हेक्टेयर) व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ खरपतवार-पूर्व शाकनाशी हैं। ये आम तौर पर रोपाई के 4-7 दिन बाद प्रयोग किए जाते हैं। रोपाई के 20 दिन बाद प्रयोग करने पर खरपतवार निकलने के पश्चात इनके प्रयोग से खरपतवारों का नियंत्रण अच्छा होता है।

प्रश्न.16. ओडिशा में अपनाई जाने वाली उपयुक्त फसल प्रणाली क्या होगी?
उत्तर. उपयुक्त फसलों का चयन। खरीफ/ आर्द्र मौसम रबी / शुष्क मौसम गर्मियों का मौसम- चावल-चावल-फलीदार फसल, चावल-मूंगफली / आलू / मूंग / गेहूं / मक्का /उड़द / सूरजमुखी-बीन।

प्रश्न.17. भूरा पौध माहू को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर. भूरा पौध माहू को निम्न विधियों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। पारंपरिक नियंत्रण: 3-4 दिनों के लिए खेत से पानी निकाल दें। संकरी पथ तैयारी करके पौधों की इष्टतम संख्या बनाए रखें, (प्रत्येक 20 कतारों के बाद 1 कतार छोड़ें) रासायनिक नियंत्रण: मोनोक्रोटोफॉस 36 एसएल 400 मिलीलीटर दर पर, एंथोफेनोक्स 10 ईसी 300 मिलीलीटर दर पर, फॉसालोन 35 ईसी 400 मिलीलीटर दर पर, इमिडाक्लोप्रिड 40 मिलीलीटर बीपीएमसी 400 मिलीलीटर दर पर प्रति क्षेत्र के लिए 200 लीटर पानी में घोलें। पौध के मूल की ओर छिड़काव यंत्र का नोजल को निर्देशित करें। पौधे के मूल नीम आधारित कीटनाशक 4-5 मिली में  प्रति लीटर दर पर छिड़काव करें।

प्रश्न.18. प्रध्वंस रोग को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर.  प्रध्वंस रोग को निम्न विधियों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। पारंपरिक नियंत्रण: ऊपरीभूमि क्षेत्रों में अंकुर को मत उगाएं। नाइट्रोजन का 80 किलोग्राम / हेक्टेयर से अधिक अतिरिक्त उर्वरक उपयोग से बचें। संतुलित उर्वरक नाइट्रोजन, फोस्फोरस, पोटाश को 2-3 भागों में प्रयोग करें। रासायनिक हिनोसन 50 ईसी 2 मिलीलीटर/ लीटर पानी दर पर, बाविस्टिन 50 डब्ल्यूपी 2.5 ग्राम / लिटर दर पर, बेल पत्तियों का निचोड़ 25 ग्राम / लिटर दर पर पीसकर 1 लिटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें। तुलसी के 25 ग्राम पत्तों को 15 मिनट के लिए उबाल कर और 1 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें।

प्रश्न 19. एनआरआरआई द्वारा विकसित कृषि उपकरण क्या हैं?
उत्तर. एनआरआरआई द्वारा कई कृषि उपकरण विकसित किए गए हैं। मिनी पारबोइलिंग यूनिट, स्टार कम कॉनो वीडर, एनआरआरआई मल्टीक्रॉप सीड ड्रिल (2 कतार वाला), ड्रम सीडर, 3 कतार वाला हस्तचालित पुल प्रकार का बीज ड्रिल, धान पहिया कुदाल, दो कतार वाला धान बीज सह उर्वरक ड्रिल, चावल की भूसी और चोकर चूल्हा, उंगली वीडर, 4 कतार वाला हस्तचालित धान प्ररोपक, हाथ फावड़ा, हाथ हल।

प्रश्न. 20.  भूरा चावल क्या है? क्या यह चावल की एक किस्म है?
उत्तर: जब धान के दानों की छिलके या भूसी को हटाया जाता है, तो भूरे रंग के चावल के दाने प्राप्त होते हैं, जिन्हें भूरा चावल कहा जाता है। यह चावल की कोई किस्म नहीं है। किसी भी किस्म का भूरा चावल केवल भूसी (ऊपरी छिलका) को हटाकर प्राप्त किया जा सकता है जो चावल की कुटाई मशीन का उपयोग करके प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न.21.  भूरा चावल को तथाकथित इस प्रकार क्यों कहा जाता है? भूरा चावल खाने से क्या फायदे हैं?
उत्तर.  धान का छिलका या भूसी हटाकर प्राप्त पूरे चावल की गिरी का सामान्य रंग भूरा होता है। इसलिए इसे भूरा चावल कहा जाता है, लेकिन रंग लाल या बैंगनी भी हो सकता है। इस भूरे रंग की परत लोहा, जस्ता, तेल और विटामिन में अत्यधिक समृद्ध है। इनके अलावा, यह कई एंटीऑक्सिडेंट जैसे कि ओराइज़नौल में समृद्ध है जो रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसलिए भूरा चावल खाने की सलाह दी जाती है।

प्रश्न.22.  बाजार में भूरे चावल स्वतंत्र रूप से क्यों उपलब्ध नहीं हैं?
उत्तर: चूँकि बाहरी भूरे रंग की परत पोषक तत्वों से भरपूर होती है, भूरे चावल आसानी से कीटों और रोगाणुओं द्वारा संक्रमित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इनकी भंडारण करने की अवधि अल्प होता है। यही कारण है कि, यह बाजार में इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं है। लेकिन अब यह डिपार्टमेंटल स्टोर्स और मॉल्स में उपलब्ध हो रहा है।

प्रश्न.23.  हमें भूरे चावल कैसे पकाने चाहिए?
उत्तर:  भूरे चावल को पकाने में थोड़ा लंबा समय लगता है। खाना पकाने के समय को कम करने के लिए, इसे पकाने से पहले 24 घंटे के लिए पानी में भिगोया जाना चाहिए। इसके द्वारा, इसमें पोषण मूल्य और बढ़ जाता है।

प्रश्न. 24. चोकर क्या है? पॉलिश किया हुआ चावल क्या है?
उत्तर: चूंकि भूरे रंग के चावल का भंडारण अवधि छोटी होती है, बाहरी भूरी परत को कुटाई अर्थात मिलिंग द्वारा हटा दिया जाता है, जो कि पाउडर के रूप में इकट्ठा होता है और इसे चावल के चोकर के नाम से जाना जाता है एवं इसका रंग भूरा होता है। वास्तव में, पारंपरिक चावल की मिलें भूसी और चोकर की परत को एक साथ हटाते हैं, जिससे सीधे कुटाई की गई अथवा मिल्ड चावल मिलते हैं। मिल्ड चावल के दानों में चमक लाने के लिए, इसे पॉलिशर नामक मशीनों के माध्यम से पारित किया जाता है, जो पॉलिश किए हुए चावल देने वाली दानों की सतह से बाहरी परत को हटा देते हैं, लेकिन इससे चावल के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न.25.  चावल की भूसी का तेल कैसे निकाला जाता है? क्या यह खाद्य है?
उत्तर:  चावल की भूसी का तेल आम तौर पर स्थिरीकृत चावल की भूसी से सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर संयंत्रों में हेक्सेन का उपयोग करके निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में 95% हेक्सेन पुनर्चक्रण होती है। बड़े पैमाने पर खपत होने से पहले तेल को लारहीन, रंगहीन एवं गंधहीन किया जाता है। यह रिफाइन्ड तेल अर्थात परिष्कृत तेल न केवल खाने योग्य है, बल्कि खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा माध्यम माना जाता है, क्योंकि यह लगभग 15% कम अवशोषित होता है, ट्रांस वसा से मुक्त होता है और स्वस्थ हृदय के लिए अनुशंसित की जाती है। डब्ल्यू-3 फैटी एसिड से भरपूर एक अन्य खाद्य तेल के साथ मिश्रित आरबीओ का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इस प्रकार के तेल बाजार में मौजूद हैं।

प्रश्न. 26. क्या मधुमेह रोगियों द्वारा चावल का सेवन के लिए उपयुक्त है?
उत्तर:  मुलगिरी चावल या स्मार्ट चावल के ब्रांड नाम से बेचा गया चावल मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स मूल्य 55 से नीचे है। हाल ही में स्वर्णा, महसूरी और ललाट चावल की किस्में मधुमेह रोगियों के लिए उपयुक्त पाया गया है।

प्रश्न. 27.  संकर चावल पकाए जाने पर एक अप्रिय गंध उत्सर्जित होता है, क्या करें?
उत्तर:   यह शिकायत कुछ किसानों ने की है। हमने पाया है कि यदि संकर धान की कटाई के 3-4 महीने बाद खाने के लिए प्रयोग में लाया जाए तो यह गंध अपने आप गायब हो जाती है।

प्रश्न.28.  बेहतर बाजार मूल्य पाने के लिए किस तरह की चावल की किस्मों की खेती की जानी चाहिए?
उत्तर. चावल की किस्म से उच्च बाजार मूल्य प्राप्त किया जाता है, जो कुटाई अर्थात मिलिंग से अच्छे एवं अधिक ठोस चावल के दाने (60-65% मिलिंग रिकवरी के बारे में), कम से कम टूटे-फूटे और पूरा का पूरा चावल (ठोस दाना) की प्राप्ति होती है (लगभग 52- 55%)। यह सभी चावल किस्मों के लिए सही है। इसके अलावा, पतले दानों वाली किस्में आम तौर पर मेाटे दानों के प्रकारों की तुलना में अधिक कीमती हैं। सुगंधित चावल की किस्में, चाहे बासमती हो या गैर-बासमती लघु दाना प्रकार, घरेलू के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक मूल्य में बिकती हैं।

प्रश्न.29. कुटाई अर्थात मिलिंग के दौरान दाना के टूटने को कैसे कम कर सकते हैं?
उत्तर:  धान की कटाई तब करनी चाहिए जब लगभग 85% दाना पुआल के रंग का हो जाए और उसमें लगभग 20-25% नमी हो। कटी हुई फसल को एक दिन के भीतर कुटाई कर देनी चाहिए, दाना को लगभग 14% नमी तक सुखाया जाना चाहिए और मिलिंग से पहले किसी भी अवांछनीय सामग्री को हटाकर साफ किया जाना चाहिए। पारंपरिक राइस मिलों की अपेक्षा, रबर के शेलर को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि मिलिंग से ठोस एवं बिना टूटे-फूटे चावल मिल सके।

प्रश्न.30. मुरमुरा (पफ्ड राइस) बनाने के लिए कौन सी चावल की किस्म अच्छी है?
उत्तर: चावल की किस्में पानीधान, फाउंडेशन (स्थानीय), गंगसिउली, सारूबोज़नी, नालिकामा और बेदमानजी चावल की किस्में मुरमुरा बनाने के लिए अच्छे हैं।

प्रश्न.31. खई / खीर (फूला हुआ चावल) बनाने के लिए कौन सी चावल की किस्में अच्छी हैं?
उत्तर: चावल एसआर 24 बी और मयूरकंठा किस्में इसके लिए अच्छे हैं।

प्रश्न 32. क्या एनआरआरआई से कोई किस्म है जो इडली बनाने के लिए अच्छा है?
उत्तर: जी हाँ, एनआरआरआई की सावित्री किस्म तमिलनाडु में इडली बनाने के लिए बहुत लोकप्रिय है। वास्तव में, यह वहां पर पोनमणि के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 33. क्या चावल में विटामिन ए होता है?
उत्तर:  नहीं, चावल में विटामिन ए नहीं होता है, और न ही इसमें कैरोटिनॉयड की सराहनीय मात्रा होती है, जो शरीर में विटामिन ए में परिवर्तित हो जाते हैं। इसके अलावा, चावल में विटामिन सी की कमी होती है और लोहे की मात्रा भी कम होता है।

प्रश्न 34. गोल्डन चावल (स्वर्णिम चावल) क्या है?  क्या यह बाजार में उपलब्ध है?
उत्तर: चावल में विटामिन ए की कमी होती है, जो आँखें और अन्य कार्यों के लिए बहुत आवश्यक है। इसलिए वैज्ञानिकों ने गोल्डन चावल अर्थात स्वर्णिम चावल विकसित किया है, जो ट्रांसजेनिक चावल है। यह कैरोटेनॉइड का एक समृद्ध स्रोत है क्योंकि स्वर्णिम चावल के सेवन पर, शरीर में विटामिन ए में परिवर्तित हो जाते हैं। इस पर अभी भी विभिन्न प्रकार के परीक्षण किए जा रहे है और व्यावसायिक खेती के लिए विमोचित नहीं किया गया है।

प्रश्न.35. चावल से अधिकतम पोषण प्राप्त करने के लिए चावल पकाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
उत्तर:।कृपया केवल उतना ही पानी का उपयोग करें जितना चावल पकाने के लिए आवश्यक हो। पके हुए चावल द्वारा सभी पानी को अवशोषित किया जाता है, क्योंकि खाना पकाने की प्रक्रिया के दौरान महत्वपूर्ण पोषक तत्व खाना पकाने के पानी में चला जाता है। यदि आप खाना पकाने के लिए बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग करते हैं और फिर चावल के पकने के बाद जो अतिरिक्त पानी बचता है उसे फेंक देते हैं, तो आप अपने को बहुत सारे लोहा, जस्ता, और कई विटामिनों से वंचित करते हैं। इसके अलावा, आप खाना पकाने के लिए  ईंधन और समय पर अधिक खर्च करते हैं।

प्रश्न. 36. धान के दानों को उसन्ने से क्या फायदा है?
उत्तर: जब धान को आंशिक रूप से उबला हुआ (आंशिक रूप से उबला हुआ) चावल में परिवर्तित किया जाता है, तो दाना में कोई भूसीपन या सफेद धब्बा नहीं देखा जाता है। मिलिंग के दौरान दाना का टूटना काफी कम हो जाता है और पोषक तत्वों की कम मिलिंग के साथ 90% से अधिक ठोस चावल मिलता है। उसन्ने के बाद छिलका हटाने के लिए आसान होता है।  कच्चे पिसे हुए चावल की तुलना में उबले हुए चावल अधिक पौष्टिक होते हैं, क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान दानों में पोषकतत्व शामिल हो जाते हैं। उसना चावल की भंडारण अवधि लंबी है और यह रोगाणुओं और कीड़ों द्वारा कम संक्रमित होता  है।

प्रश्न.37. 100 ग्राम चावल खाने पर कितना प्रोटीन मिलेगा?
उत्तर: आमतौर पर 100 ग्राम मिल्ड चावल खाने से केवल 7 ग्राम प्रोटीन मिलता है। लेकिन एनआरआरआई विकसित चावल की किस्मों में से हीरा चावल की 100 ग्राम चावल में से लगभग 11 ग्राम प्रोटीन मिलता है।