भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक ने एसोसिएशन ऑफ राइस रिसर्च वर्कर्स (एआरआरडब्ल्यू), कटक और भाकृअनुप-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के सहयोग से 16-17 दिसंबर, 2021 के दौरान ”चावल की खेती की उत्पादकता, लाभप्रदता और लचीलापन बढ़ाने के लिए जेननेक्स्ट टेक्नोलॉजीज” पर हीरक जयंती राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एस.के. दत्ता, पूर्व उप महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप और कुलपति, विश्व बांग्ला विश्वविद्यालय, बोलपुर, पश्चिम बंगाल ने संगोष्ठी का उद्घाटन किया। डॉ. ए.के. परिडा, निदेशक, जीव विज्ञान संस्थान (आईएलएस), भुवनेश्वर सम्मानित अतिथि थे। डॉ एच पाठक, अध्यक्ष, एआरआरडब्ल्यू और निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय अजैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान (एनआईएएसएम), बारामती और डॉ पद्मिनी स्वाईं, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने ‘चावल की खेती में उत्पादकता, लाभप्रदता और लचीलापन बढ़ाने के लिए जेननेक्स्ट टेक्नोलॉजीज’ विषय पर पूर्ण व्याख्यान दिया। प्रख्यात चावल विशेषज्ञों द्वारा ‘नेक्स्टजेन प्रौद्योगिकियों के साथ भविष्य के लिए तैयार चावल तैयार करना’ विषय पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। पैनल के सदस्यों ने चावल के आनुवंशिक विकास से लेकर सामाजिक मुद्दों जैसे चावल प्रौद्योगिकी के नए प्रजनन उपकरण, जीनोम एडिटिंग, स्मार्ट फार्मिंग आदि के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।

संगोष्ठी के विभिन्न विषयों के तहत विभिन्न समवर्ती सत्र आयोजित किए गए जिसमें चावल में सीआरआईएसपीआर प्रौद्योगिकियों, खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के लिए नेक्स्टजेन प्लांट ब्रीडिंग टेक्नोलॉजीज, संकर चावल में सिंथेटिक एपोमिक्सिस, पौधों में अजैविक तनाव सहिष्णुता में सुधार के लिए सेल-आधारित फेनोटाइपिंग जैसे विविध विषयों पर चर्चा की गई। कृषि में जल प्रबंधन के लिए सेंसर आधारित तकनीकों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग, सटीक चावल की खेती, अगली पीढ़ी की पौध संरक्षण प्रौद्योगिकियां, फसल-कीट अंतःक्रियाओं पर जलवायु परिवर्तन प्रभाव, सटीक और लक्षित कीट प्रबंधन के लिए नैनो-प्रौद्योगिकी, एआई उपकरण और मशीन सीखने के लिए कृषि उद्योग को बदलना, अगली पीढ़ी के विस्तार और सलाहकार सेवाओं को आकार देना, आजीविका सुरक्षा के लिए संस्थानों और शासन को बदलना, चावल में इक्विटी और लाभप्रदता और मानव कल्याण सुनिश्चित करने के लिए हरित लेखांकन और पारिस्थितिकी तंत्र मूल्यांकन आदि। इनके अलावा, विभिन्न विषयों पर ‘महत्वूपर्ण व्याख्यान’ आयोजित की गई जिसमें 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने अपने शोध को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया। संगोष्ठी के समापन के दौरान विभिन्न तकनीकी सत्रों की संस्तुतियां प्रस्तुत की गईं, एसोसिएशन ऑफ राइस रिसर्च वर्कर्स के नए अध्येताओं को शामिल किए गए एवं सम्मानित किया गया और विभिन्न सत्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतकर्ता को भी सम्मानित किया गया। डॉ. पी.के. अग्रवाल, कुलपति, ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) संगोष्ठी के समापन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि थे।

वर्चुअल मंच के माध्यम से संगोष्ठी में पंजीकृत प्रतिनिधियों और अन्य आमंत्रित अतिथियों सहित लगभग 300 व्यक्तियों ने भाग लिया। अंत में हीरक जयंती संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ. एम.जे. बेग ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

Author: crriadmin