भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में 09-12 नवंबर, 2021 के दौरान "चावल आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली" पर कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम

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भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में 09-12 नवंबर, 2021 के दौरान “चावल आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली” पर कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम

भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में ” तटीय ओडिशा में छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका सुरक्षा के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली का विकास और प्रदर्शन” परियोजना (ईएपी- 252) के तहत “चावल आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली” शीर्षक पर 09-12 नवंबर 2021 के दौरान चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जगतसिंहपुर और पुरी जिलों के आईटी क्षेत्र के तेईस किसानों/युवाओं ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया और लाभान्वित हुए। किसानों और युवाओं के बीच एकीकृत कृषि प्रणाली के बारे में जागरूकता पैदा करना और उपलब्ध संसाधनों के साथ प्रति इकाई क्षेत्र में विभिन्न उद्यमों को किस तरह से एकीकृत करना है, प्रशिक्षण का प्रमुख उद्देश्य था ताकि कृषि अवशेषों के पुनर्चक्रण के माध्यम से खेती की लागत को कम किया जा सके एवं उत्पादकता तथा लाभप्रदता को अधिकतम किया जा सके। विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों से व्याख्यान की व्यवस्था की गई। डॉ. एस सी गिरी, पीडीआर ने बत्तख और मुर्गी पालन के एकीकरण और प्रबंधन, डॉ. गोविंद आचार्य, सीएचईएस ने बागवानी घटकों के एकीकरण और इंटरक्रॉपिंग, डॉ. आर सी. लक्ष्मीनारायण, सीटीसीआरआई ने कम लागत वाली कंद फसलों के साथ प्रणाली की उत्पादकता को अधिकतम करने, डॉ आर एन महापात्र, ओयूएटी ने गुणवत्ता शहद उत्पादन के लिए मधुमक्खी को कैसे एकीकृत और प्रबंधित करें, डॉ आलोक पात्र, ओयूएटी ने कृषि-वानिकी द्वारा दीर्घकालिक आय के लिए विषय पर तथा डॉ. डी. पी. सिंहबाबू, परियोजना सलाहकार ने चावल-मछली-बतख एकीकरण के बारे में स्थान चयन, भूमि को आकार देने और प्रबंधन के बारे में जानकारी दी, जबकि डॉ आर मोहंता विषयवस्तु विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र, संथपुर ने जुगाली करने वाले जानवरों और छोटे पशुओं को खेती प्रणाली के अभिन्न अंग के रूप में रखने के बारे में विस्तार से वर्णन किया।डॉ. बी.गौड़, वैज्ञानिक ने जैव नियंत्रण कारक, डॉ. एम. बाग ने रोगों और एकीकृत नियंत्रण उपायों के बारे में जानकारी दी। एनी पूनम, पाठ्यक्रम निदेशक ने अवशेष पुनर्चक्रण और निवेश लागत को कम करने पर जानकारी दी। डॉ. बी.एस. शतपथी, सह-निदेशक (प्रथम) ने कचरे के पुनर्चक्रण के माध्यम से खाद और कृमि-खाद बनाने पर जोर दिया। पाठ्यक्रम के सह निदेशक (द्वितीय) डॉ. एस. एल. लेंका ने अवशेष प्रबंधन और लाभप्रदता के लिए मशरूम की खेती के बारे में विवरण प्रस्तुत किया।

Group photo of participants Scientist- trainees interaction
Exposure visit to IFS Model at NRRI Certification distribution by Director (i/c), NRRI

समापन समारोह में निदेशक प्रभारी डॉ. ए के नायक ने प्रमाण पत्र वितरण किया। डॉ. एनी पूनम, परियोजना के प्रधान अन्वेषक ने पाठ्यक्रम के महत्व के बारे में भी जानकारी दी और पाठ्यक्रम के सह-निदेशक डॉ. बी.एस.शतपथी (प्रथम) ने धन्यवाद ज्ञापन किया। पिपिली प्रखंड के बंतलसिंहदेव गांव में नवनिर्मित चावल आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल के प्रदर्शन के साथ प्रशिक्षण का समापन हुआ।

Author: crriadmin