“सतत कृषि पद्धतियों के माध्यम से आर्थिक विकास” पर छठवीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एनआरआरआई में आयोजित

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“सतत कृषि पद्धतियों के माध्यम से आर्थिक विकास” पर छठवीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एनआरआरआई में आयोजित

निरंतर बढ़ती आबादी को खाद्यय उपलब्ध कराने, किसानों के लिए आजीविका बनाए रखने और पर्यावरण की रक्षा करने जैसी चुनौतियों का मुकाबला करने की लक्ष्य से जिसे कृषि में स्थायी प्रगति करने के लिए एक साथ समाधान करने की आवश्यकता है, भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक एवं सोसायटी फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च एंड मैनेजमेंट (एसएआरएम), कटक के संयुक्त सहयोग से “स्थायी कृषि प्रथाओं के माध्यम से आर्थिक विकास” विषय पर 19 से 21 जनवरी 2024 के दौरान एनआरआरआई के परिसर में छठवीं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के फसल विज्ञान के उप महानिदेशक डॉ. टी.आर. शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन का उद्घाटन किया। केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रोफेसर (डॉ.) रबीनारायण आचार्य ने विशेष अतिथि के रूप में तथा ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रभात कुमार राउल ने सम्मानित अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा बढ़ाई। एनआरआरआई के निदेशक डॉ. ए.के. नायक ने सम्मेलन की अध्यक्षता की।
लगभग 500 वैज्ञानिक, विभिन्न विषयों के प्रतिष्ठित अतिथि, आईसीएआर संस्थानों और भारत सरकार के प्रतिष्ठित संगठनों से एवं राज्य सरकार के कृषि विभाग के वक्ता, उद्यमी, विशेषज्ञ और और किसानों इस मेगा वैज्ञानिक कार्यक्रम में भाग लिया। तीन दिवसीय तक होने वाले सम्मेलन में सेमिनार विचार-विमर्श, पैनल चर्चा, कार्यशालाएं, व्याख्यान, मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियां, किसानों की चर्चा, प्रदर्शनियां आदि आयोजित की जाएंगी।
मुख्य अतिथि डॉ. शर्मा ने एनआरआरआई परिसर के नव निर्मित जैव-उर्वरक इकाई, पक्षी और पशु जैव विविधता इकाई और कैफेटेरिया का उद्घाटन किया। उन्होंने प्रायोगिक भूखंडों और जीनोमिक्स प्रयोगशाला का भी दौरा किया। उन्होंने प्रकाशन, पेटेंट, प्रक्रिया और साझेदारी पर जोर दिया और परिषद द्वारा निर्धारित अधिदेश को पूरा करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। मुख्य अतिथि ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार अब अपने विज़न 2047 योजना के तहत भारत में वर्तमान मौजूदा कृषि प्रथाओं का जलवायु और मृदा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के साथ-साथ अधिक और स्थिर कृषि उत्पादन के माध्यम से सभी प्रकार के कृषि उत्पादन को सुधारने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय सुधार करना है एवं जिससे भारत की बढ़ती आबादी और भोजन की मांग की समस्याओं में मदद मिलेगी।
एनआरआरआई के निदेशक ने कहा कि संस्थान ने पहले से ही जलवायु प्रतिरोधी, बायोफोर्टिफाइड और शाकनाशी प्रतिरोधी किस्मों सहित 179 उच्च उपज देने वाली चावल की किस्में विकसित की हैं। अब संस्थान स्थायी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने, मीथेन एवं कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु-स्मार्ट कृषि का समर्थन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा परिकल्पित सतत विकास लक्ष्यों का हिस्सा है और जिसे भारत सरकार और परिषद द्वारा समर्थित किया गया है। कुछ प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को अपने क्षेत्र में किए गए उत्कृष्टता हेतु सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम की शुरुआत में एग्रीविज़न-2024 के संयोजक डॉ. एम जे बेग ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। कार्यक्रम निदेशक दिब्यांशु दास ने संभा के अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया।

Author: crriadmin