भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक में आईसीएआर क्षेत्रीय समिति-II की 27वीं बैठक आयोजित
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा 23 अगस्त 2024 को भाकृअनुप-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में आईसीएआर क्षेत्रीय समिति-II की 27वीं बैठक का आयोजन किया गया। ओडिशा सरकार के माननीय उप-मुख्यमंत्री तथा कृषि सशक्तिकरण एवं ऊर्जा मंत्री श्री कनक वर्धन सिंह देव मुख्य अतिथि के रूप में और भारत सरकार के माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भगीरथ चौधरी सम्मानित अतिथि के रूप में इस गरिमामयी बैठक का उद्घाटन किया । जलवायु परिवर्तन के परिणास्वरूप चरम घटनाओं और अन्य प्रतिकूलता अवस्थाओं की पृष्ठभूमि में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित वर्तमान और उभरती समस्याओं का उचित समाधानों की खोज इस बैठक का लक्ष्य था।
मुख्य अतिथि श्री सिंह देव ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें निरंतर विचार-विमर्श द्वारा और कार्ययोजना बनाकर जलवायु संबंधी फसल संबंधी मुद्दों को व्यवस्थित रूप से संबोधित कर रही हैं। सरकार कृषि उद्योग में निवेश बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रही है। ओडिशा सरकार अब पूरे राज्य में कोल्ड स्टोरेज और कोल्ड रूम की सुविधाएं बनाने की योजना बना रही है, जिससे किसानों को संकट में बिक्री के जोखिम को दूर करने में मदद मिलेगी और साथ ही बेहतर लाभ भी सुनिश्चित होगा। इससे न केवल संसाधनों को संरक्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि खाद्य पदार्थों के सड़ने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी आएगी। जहां तक कृषि मशीनीकरण का सवाल है, ओडिशा में सबसे अधिक मशीनीकरण भूमि तैयार करने में है, उसके बाद दौनी करने और ओसाई में है, जबकि सबसे कम मशीनीकरण बीज बोने और रोपण कार्य में है। ओडिशा में बीज बोने/रोपण के साथ-साथ कटाई के कार्यों में मशीनीकरण के स्तर को बढ़ाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम कार्यक्रम विकसित और लागू करना जारी रखेंगे, हमारा दृष्टिकोण व्यय की निगरानी करना, परिणामों का मूल्यांकन करना और आवश्यकतानुसार रणनीतियों को समायोजित करना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कृषि क्षेत्र को हमारे निवेश से अधिकतम संभव लाभ मिले।
सम्मानित अतिथि श्री चौधरी ने अपने अभिभाषण में कहा कि जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा, चक्रवात, अत्यधिक गरम लहरी, कीट और बीमारियों के संक्रमण आदि जैसी घटनाओं के कारण इस क्षेत्र में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए अनुसंधान को प्राथमिकता देना इस समय की आवश्यकता है, जो वर्तमान में कृषि उत्पादकता को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने अधिक संख्या में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के निर्माण पर जोर दिया, जो आज किसानों, खासकर छोटे उत्पादकों के सामने आने वाली चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटने का एक तरीका साबित हुए हैं। सीमांत, छोटे और भूमिहीन किसानों को एफपीओ के रूप में एकत्रित करने से किसानों की आय और आर्थिक मजबूती में सुधार के लिए बाजार संपर्क बढ़ाने में मदद मिली है। श्री चौधरी ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र ने कृषि स्टार्ट-अप को बढ़ावा देकर किसानों में उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा दिया है। भारत सरकार भारतीय कृषि को बदलने और विभिन्न उपायों और योजनाओं के माध्यम से किसानों की आजीविका में सुधार करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और साथ ही पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना कृषि उत्पादन गतिविधियों को बनाए रखने का प्रयास कर रही है।
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने बैठक की अध्यक्षता की। डॉ. पाठक ने अपने भाषण में क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान संस्थानों और विकास विभागों के बीच प्रभावी संपर्क और निरंतर चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया। आईसीएआर के फसल विज्ञान संभाग के उप महानिदेशक डॉ. टी.आर. शर्मा ने सभी आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और क्षेत्रीय समिति की बैठक के उद्देश्यों और महत्व के बारे में जानकारी दी तथा कहा कि ऐसी बैठकों से वैज्ञानिकों को तत्काल और भविष्य की समस्याओं के समाधान के लिए अपने अनुसंधान कार्यक्रमों को पुनः उन्मुख करने में मदद मिलती है। राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. पी.एस. बिरथल ने आरसीएम-II की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की तथा इस क्षेत्र में कृषि अनुसंधान और विकास की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
आईसीएआर के शासी निकाय के सदस्य, आईसीएआर के सभी उप महानिदेशक, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईसीएआर के सहायक महानिदेशक, इन राज्यों में स्थित विभिन्न आईसीएआर संस्थानों के निदेशक, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधान और विस्तार के डीन और निदेशक और पांच राज्यों के राज्य सरकार के विभागों के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में भाग लिया। इस कार्यक्रम में कार्रवाई रिपोर्ट की प्रस्तुति, विभिन्न राज्य सरकार के विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श सत्र और कृषि प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, शोधन और हस्तांतरण से संबंधित इन पांच राज्यों के लिए एक व्यापक अनुसंधान एजेंडे पर पूर्ण सत्र के माध्यम से चर्चा की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा अनेक प्रकाशनों का विमोचन किया। भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक के निदेशक डॉ. ए.के.नायक ने कार्यक्रम के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।
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