निदेशक का कृषि विज्ञान केंद्र, कोडरमा और कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा का दौरा किया

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निदेशक का कृषि विज्ञान केंद्र, कोडरमा का कार्य प्रगति की समीक्षा के लिए 1 सितंबर 2021 को दौरा

डॉ. दीपांकर माईती, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक ने डॉ. शिव मंगल प्रसाद, प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विज्ञान), सीआरयूआरआरएस, हजारीबाग के साथ 1 सितंबर 2021 को कृषि विज्ञान केंद्र, कोडरमा का कार्य  प्रगति की समीक्षा के लिए कोडरमा का दौरा किया। निदेशक ने प्रगति की सराहना की। निदेशक ने कृषि विज्ञान केंद्रे प्रभारी  डॉ. चंचला कुमारी को वाहन मरम्मत, इम्प्लीमेंट शेड के निर्माण, गहरे बोरवेल और चारदीवारी को ऊंचा करने के कार्यों को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। फार्म के क्षेत्र भ्रमण के दौरान उन्होंने अरहर की फसल को बचाने के लिए समय पर पौध सुरक्षा उपायों का पालन करने का सुझाव दिया।

इसके अलावा डॉ माईती ने जयनगर प्रखंड के तरवान और एर्गोबाद गांवों का दौरा किया जहां एनआरआरआई की नई विमोचित चावल की किस्मों, अरहर के क्लस्टर प्रदर्शन, उच्च मूल्य वाली सब्जियों की फसलों में प्लास्टिक का उपयोग संबंधी कार्यकलाप किए गए थे। उन्होंने समूह/सहकारिता के आधार पर सब्जी उत्पादन गतिविधियों को बढ़ाने और समय के साथ जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए स्थानीय बाजार में ब्रांड स्थापित करने का सुझाव दिया।

निदेशक का कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा (बीएयू, रांची) का बायोटेककिसान हब के तहत कार्य प्रगति की समीक्षा के लिए दौरा

डॉ. दीपांकर माईती, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरआरआई, कटक ने 3 सितंबर, 2021 को प्रधान अन्वेषक, डॉ शिव मंगल प्रसाद, प्रधान वैज्ञानिक (शस्य विज्ञान), सीआरयूआरआरएस, हजारीबाग के साथ कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा में परियोजना की गतिविधियों की प्रगति (कुक्कुट पालन, मधुमक्खी पालन और लाख की खेती को बढ़ावा देना) का दौरा किया, जो डीबीटी द्वारा वित्त पोषित परियोजना “सीआरयूआरएस (भाकृअनुप-एनआरआरआई), हजारीबाग में बायोटेक-किसान हब की स्थापना” में भागीदार संस्थान में से एक है। हुदुम पंचायत, चतरा के गांव बहागढ़ा में जहां 42 अनुसूचित जनजाति के किसान परिवार मुर्गी पालन गतिविधि के तहत लाभार्थी हैं, दिव्ययान रेड एवं कावेरी नस्लों का प्रदर्शन किया गया है। डॉ माईती ने लाभार्थी परिवारों को सुझाव दिया कि वे पहले परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करें, विशेष रूप से बच्चों को कम से कम एक अंडा प्रति व्यक्ति/दिन दें एवं शेष उत्पादन को बेचें। परियोजना के पीआई डॉ. एस एम प्रसाद को कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा के वैज्ञानिकों के साथ निकट संपर्क में रहने हेतु सुझाव दिया गया।

प्रतापपुर गाँव में जहाँ मधुमक्खी पालन और लाख उत्पादन कार्यकलाप की जा रही हैं, डॉ माईती ने बिचौलियों को न बेचकर शहद की प्रजनन और लाख उत्पादन में उत्पाद को सीधे खरीदार को बेचने की प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया।

इसके अलावा उन्होंने अनुसंधान फार्म में आर्य परियोजनाओं के तहत इफको द्वारा प्रायोजित चावल की फसल के नैनो उर्वरक (डीएपी) परीक्षणों और कृषि विज्ञान केंद्र के सुअर और मुर्गी पालन की गतिविधियों का भी दौरा किया।

Author: crriadmin